कवर्धा, 31 जुलाई 2025/sns/- छत्तीसगढ़ में सोयाबीन की खेती कबीरधाम जिला में प्रमुखता से की जाती है। इस वर्ष लगभग 15 से 17 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई की गई है। प्रारंभ में वर्षा की अनियमितता के पश्चात् गत सप्ताह हुई वर्षा के बाद सोयाबीन की स्थिति बेहतर हुई है। कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक श्री बीपी त्रिपाठी ने जिले के सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए उपयोगी सलाह दी है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक श्री बीपी त्रिपाठी ने बताया कि जहां फसल 15-20 दिन की हो गई है, और अभी तक किसी भी प्रकार के खरतपतवारनाशक का प्रयोग नही किया गया है, सोयाबीन फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए अनुशंसित खड़ी फसल में खरपतवारनाशी प्रोपाकिव्जाफाप 2.6 प्रतिशत $ इमेझाथापायर 3.75 प्रतिशत एमई का 768 ग्राम/एकड़ या अन्य समान तकनीकी उत्पाद मात्रा का छिड़काव करें। जहां पर फसल 15 से 20 दिन की हो गई हो, पत्ती खाने वाले कीटों से सुरक्षा के लिए फूल आने से पहले ही सोयाबीन फसल में क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (60 मि.ली./एकड़) या कोरिन और सामान्य तकनीकी उत्पाद का छिड़काव करें, इससे अगले 30 दिनों तक पर्णभक्षी कीटों से सुरक्षा मिलेगी। इस समय तना मक्खी का प्रकोप प्रारंभ होने के सम्भावना होती है। उन्होंने बताया कि इसके नियंत्रण के लिए पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम 12.60 प्रतिशत $ लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 09.50प्रतिशत जेड सी (50 मि.ली./एकड़) या एलिका जैसे समान तकनीकी उत्पाद का छिड़काव करें। जहां पर जल भराव की स्थित है वहां उचित जल निकास की व्यवस्था करे। सोयाबीन में आवश्यकता तथा तेल की मात्रा में इजाफा के लिए सल्फर 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर छिड़काव किया जा सकता है। कृषक खेतों का सतत् निगरानी करते रहें तथा किसी भी प्रकार की समस्या आने पर क्षेत्रीय कृषि अधिकारी एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों से संपर्क कर सकते है।