छत्तीसगढ़

मौसमी बिमारियों से बचाव  के लिए सतर्कता जरूरी

कोरबा, 08 जुलाई 2025/sns/-
मानसून की बारिश शुरू होने के साथ ही लोगों को भीषण गर्मी की मार से राहत तो मिली हैं लेकिन मौसमी बिमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। दरअसल बरसात के मौसम में तापमान में उतार-चढ़ाव होने से बैक्टीरिया का प्रभाव व्यक्ति के स्वास्थ्य पर पड़ता है और वह सर्दी या फ्लू का शिकार हो जाता है।बच्चों से लेकर बड़ो तक किसी भी आयु के व्यक्ति को मौसमी बिमारियॉं हो सकती है। इसलिए बरसात के मौसम में अपने शरीर को सुरक्षित रखने के लिए पौष्टिक  आहार का सेवन करना चाहिए ताकि शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो और वह बिमारियों से लड़ने में सफल रहे।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एस.एन. केशरी ने बताया कि वर्षाकाल में मच्छरों की भरमार होने के साथ ही इनसे जनित बिमारियों का खतरा बढ़ जाता है। मच्छरों से फैलने वाली बिमारियों में मलेरिया, डेंगू,हैजा, टाईफाईड, हेपेटाईटिस ए आदि शामिल हैं। बरसात के मौसम में मलेरिया से अधिक लोग ग्रस्त रहते हैं, बारिश का पानी भरे रहने पर उसमें मच्छरों की प्रजनन क्रिया होती है। डेंगू बुखार जानलेवा माना जाता है जो कि एडिज मच्छर के काटने से फैलता है। हैजा(डायरिया) एक जलजनित संक्रमण है जो शरीर में कालरा फैलाता है इस रोग के होने पर दस्त व निर्जलीकरण की समस्या हो सकती है।डायरिया एक संक्रामक रोग है जो सभी विकासशील देशों में व्यापक है। यह तीन साल से कम उम्र के बच्चों को हर साल औसतन तीन बार होता है। डायरिया कुपोषण का एक प्रमुख कारण होता है और कुपोषित बच्चों को डायरिया से बिमार पड़ने की संभावना अधिक रहती है। टाईफाइड बुखार दूषित भोजन व पानी से होता है। हेपेटाईटिस ए संक्रमण दूषित पानी व भोजन के कारण होता है। यह बिमारी लिवर को अधिक प्रभावित करती है। बारिश में त्वचा संबंधी कई तरह के रोग होने की संभावना भी बढ़ जाती है। खुजली , जलन और रूखी त्वचा की समस्या होने लगती है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी नें बरसात के मौसम में बिमारियों से बचाव के उपाय बताए हैं। उन्होने बताया कि बेहतर स्वच्छता का उपयोग करें तथा खाना खाने से पहले और शौचालय का उपयोग करने के बाद साबुन से हॉथ धोना चाहिए। नाखूनों को हमेशा छोटा और साफ रखना चाहिए।बरसात के मौसम में पानी को उबालकर पीना उचित होता है सीधे नल का पानी नहीं पीना चाहिए।बाहर के स्ट्रीट फूड खाने के बजाय घर का बना ताजा भोजन ले।अत्यधिक मसालेदार भोजन का सेवन से बचना चाहिए । सब्जियों तथा फलों को धोकर उपयोग करना चाहिए। कटे फल , दही , रायता जैसे कच्चे भोजन खाने से बचें तथा घर से बाहर गोलगप्पे, चाट तथा दही खाने से बचें। संक्रमण व बुखार से बचने के लिए अदरक, तुलसी , कालीमिर्च, दालचीनी, इलायची की चाय बनाकर पीनी चाहिए। मानसून में त्वचा संबंधी रोग की समस्या से बचाव के लिए बारिश में भीगने पर तुरंत कपड़े बदल लेने चाहिए। अधिक देर बारिश में न रहें तथा त्वचा को सूखा रखें।
कलेक्टर श्री अजीत वसंत तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एस.एन.केशरी
ने जिले के लोगों से अपील कर कहा है कि उपरोक्त सावधानिया बरतने से मौसमी बिमारियों के खतरों से बचा जा सकता है तथा किसी व्यक्ति को मलेरिया, डायरिया,टाईफाईड, हेपेटाईटिस तथा त्वचा रोग संबंधि लक्षण दिखाई दे तो वे चिकत्सालय, जाकर अपना उपचार करावें । उन्होंने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं तथा मितानिनों को निर्देशित किए है कि वे अपने कार्यक्षेत्र  में भ्रमण के दौरान जल जनित बिमारियों के प्रसार को रोकने के उपाय के संबंध में जनसमुदाय/समाज के बीच व्यापक प्रचार प्रसार करें। जिससे मौसमी बिमारियों से क्षेत्र की जनता को बचाया जा सके।

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