छत्तीसगढ़

बस्तर अनुविभाग के चार गांवों में कुम्हारों के कार्य हेतु भूमि का किया गया चिन्हांकन

जगदलपुर, जून 2023/ बस्तर की पारंपरिक जीवन शैली में कुम्हारों का भी एक बड़ा योगदान है। बस्तरिया संस्कृति में पूजा पाठ के दौरान जहां कुम्हारों द्वारा बनाई गई पारंपरिक मूर्तियों का विशेष महत्व है। वहीं यहां की बड़ी आबादी आज भी मिट्टी से बनी मटकियों का पानी पीने और मिट्टी के बर्तनों में पके भोजन को पसंद करती है। मिट्टी के बने ये बर्तन लोगों के सेहत से लेकर पर्यावरण तक के लिए लाभकारी साबित हुए हैं। मिट्टी से बने इन बर्तनों के लाभ के बावजूद कुम्हारों को काली मिट्टी की समस्या से जूझना पड़ा था, जिसके कारण कुम्हारी कला भी विलुप्त हो रही थी।
कुम्हारी कला को जीवित रखने और कुम्हारों की आजीविका को बेहतर बनाने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने मिट्टी और मूर्ति बनाने के उपयोग में आने वाली विशेष काली मिट्टी को कुम्हारों के लिए उनके निवास क्षेत्र के पास 5 एकड़ जमीन आरक्षित करने की योजना बनाई। इसी कड़ी में कलेक्टर श्री विजय दयाराम के. के निर्देश पर बस्तर अनुविभाग के तहत भानपुरी तहसील के देवड़ा और मुंडागांव में, बकावंड तहसील के जैबेल  और सान देवड़ा में भूमि आरक्षित कर दी गई।                                                   

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