बीजापुर, 05 नवम्बर 2025/sns/- बीजापुर जिले में सौर ऊर्जा आधारित योजनाओं ने ग्रामीण जीवन और कृषि व्यवस्था में नई ऊर्जा का संचार किया है। सौर सुजला योजना तथा सोलर ड्यूल पंप तकनीक के माध्यम से किसानों और ग्रामीणों को लाभ मिल रहा है, जिससे न केवल सिंचाई और पेयजल की सुविधा बढ़ी है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक स्तर पर भी सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
पहले जिले में सिंचाई के पर्याप्त साधन न होने के कारण किसानों को बोरवेल, कुआं या नदी-नालों से सिंचाई में कठिनाई होती थी। इससे कई बार पलायन, बेरोजगारी और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। अब सौर सुजला योजना के अंतर्गत किसानों को सौर सिंचाई पंप उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिनसे वे अपने जल स्त्रोतों का उपयोग कर पा रहे हैं।
अब किसान पारंपरिक धान फसल के साथ-साथ साग-सब्जी, दलहन और तिलहन की खेती भी कर रहे हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई है।
पिछले 25 वर्षों में जिले में कुल 4,090 सोलर पंप संयंत्र स्थापित किए गए हैं, जिनसे लगभग 10,225 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की जा रही है।
इसी प्रकार, सोलर ड्यूल पंप तकनीक ने ग्रामीण पेयजल आपूर्ति में नई क्रांति लाई है। यह प्रणाली सोलर पंप और हैंडपंप दोनों का संयुक्त उपयोग करती है।
जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा 1,558 सोलर ड्यूल पंप स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 1,147 पंप स्थापित हो चुके हैं। इनमें से 552 पंपों से ग्रामीण घरों में पेयजल आपूर्ति में सुधार हुआ है। इससे शौचालय उपयोग, स्वच्छता और समय की बचत में बढ़ोतरी हुई है तथा ग्रामीणों के स्वास्थ्य में सुधार और मौसमी बीमारियों में कमी आई है।
विगत 25 वर्षों में जिले में कुल 1,699 सोलर ड्यूल पंप स्थापित किए गए हैं।
इसके अतिरिक्त, क्रेडा विभाग द्वारा जिले के 25 वार्डों में 196 सोलर हाईमास्ट लाइटें लगाई गई हैं, जिनसे नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रात्रिकालीन प्रकाश व्यवस्था सुदृढ़ हुई है और आवागमन में सुविधा बढ़ी है। सौर ऊर्जा के इन प्रयासों से बीजापुर जिले में न केवल किसानों और ग्रामीणों की जीवनशैली में सुधार आया है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।


