छत्तीसगढ़

पीडि़ता बच्ची को शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय राजनांदगांव के ओपीडी में संवेदन शीलतापूर्वक जांच कर दी गई आवश्यक दवाईयां


राजनांदगांव, 16 अगस्त 2025/sns/- दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार मानवता शर्मसार.. का खंडन। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय राजनांदगांव के स्त्री रोग विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार जिस तरह एफआईआर हमेशा घटनास्थल के निकटतम थाने में दर्ज कराई जाती है। उसी तरह पॉक्सो या रेप केस की मेडिकल जांच पश्चात रिपोर्ट भी घटनास्थल के निकटतम पीएचसी, सीएचसी या जिला अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर या स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा तैयार की जाती है। यह व्यवस्था राजनांदगांव जिले में मेडिकल कॉलेज निर्माण के पूर्व से चली आ रही है एवं दुर्ग, अंबिकापुर, रायगढ़, कांकेर, महासमुंद, रायपुर में भी इसी नियम का अनुकरण किया जा रहा है।
शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय राजनांदगांव के स्त्री रोग विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार इस केस में भी रेप पश्चात बिना एफआईआर के मेडिकल जांच रिपोर्ट हेतु पुलिस अधिकारियों के साथ सीधे मेडिकल कॉलेज के प्रसूति स्त्री रोग (ट्रायज रूम) में उपस्थित हुई थी। चूंकि पीडि़ता को इलाज की जरूरत नहीं थी, इसलिए उसे नियमानुसार पॉक्सो जांच व रिपोर्ट बनाने के लिए जिला अस्पताल भेज दिया गया। मेडिकल कॉलेज एक शैक्षणिक संस्थान है। यहां शैक्षणिक कार्य एवं तृतीय स्तर की चिकित्सा सेवा प्रदान किए जाते हैं और आवश्यक होने पर ही रेप पीडि़ता को तृतीय लेवल की सुविधा अर्थात सर्जरी या गहन चिकित्सा प्रदान की जाती है, जबकि पॉक्सो रिपोर्ट, 376 प्राथमिक मुलाहिजा रिपोर्ट, राज्य स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ मेडिकल ऑफिसर द्वारा तैयार किए जाते हैं। यह कहना पूर्णत: गलत है कि पीडि़ता दर्द से तड़प रही थी और उसे इलाज की जरूरत थी, क्योंकि 8 अगस्त 2025 को सुबह मेडिकल कॉलेज चिकित्सकों (स्त्री रोग व शिशु रोग) द्वारा पीडि़ता की ओपीडी में जांच कर आवश्यक दवाएं, विटामिन्स प्रिस्क्राइब किए गए थे। वह पर्ची पीडि़ता के परिजन द्वारा यह कह कर वापस कर दिया गया कि इसकी जरूरत नहीं हंै। रेफर व ओपीडी पर्ची विभाग में उपलब्ध है।

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