छत्तीसगढ़

बिहारी को भाया पीएम आवास, परिवार के साथ कर रहे निवास

  • पीएम आवास योजना (ग्रामीण) ने रखी सुखमय जीवन की आधारशिला
  • जांजगीर-चांपा। बिहारीलाल यादव आज बेहद सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं, और प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के मकान में अपने परिवार के साथ निवास कर रहे हैं। पक्के मकान को बनाने की जो कल्पना उन्होंने सपने में की थी उसे जब उन्होंने साकार रूप में देखा तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
  • जांजगीर-चांपा जिले के बलौदा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत जूनाडीह में रहने वाले बिहारीलाल की पीएम आवास बनने के पहले स्थिति ऐसी नहीं थी, वे कच्चे, टूटे-फूटे मकान में अपने परिवार के साथ जिंदगी की गाड़ी को आगे बढ़ा रहे थे। कच्चे मकान में बारिश के दिनों में मुसीबत बहुत बढ़ जाती थी, जब छत से पानी उनके घर में टपकता था और इससे दिन-रात मुसीबत में बीत रहे थे। इसी उधेड़बुन में अपनी जिंदगी को काट रहे थे। बिहारीलाल का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण वर्ष 2011 की प्रतीक्षा सूची में शामिल था, इसलिए प्रतीक्षा सूची में नाम होने के कारण बिहारीलाल को उम्मीद थी, कि उनके लिए आवास जरूर बनेगा, इस उम्मीद को कायम रखा प्रधानमंत्री आवास योजना ने और वर्ष 2019-20 में आवास के लिए 1 लाख 20 हजार रूपए की स्वीकृति दी गई। जो किश्तों के रूप में उनके खाते में आवंटित की गई। फिर क्या था बिहारीलाल ने अपने सपनों के घर को तैयार करना शुरू कर दिया। एक-एक ईंट को जुड़ते हुए और मिट्टी के घर को पक्का घर होते हुए देखकर उनकी आंखों की चमक बढ़ने लगी। वह समय भी आया जब उनका मकान तैयार हो गया। विधि विधान से पूजा अर्चना करने के बाद बिहारीलाल ने अपने घर में कदम रखा और पत्नी एवं दो बच्चों के साथ खुशहाल जिंदगी की शुरूआत की। इसके लिए वे प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण को धन्यवाद देते हुए कहते है जो परिवार कभी पक्का मकान बनाने का सोच नहीं सकता था उसके सपने को योजना ने साकार कर दिया।
  • धुआं से मिली मुक्ति, नहीं जाते शौच बाहर
  • प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण से उन्हें पक्का मकान मिला तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री उज्जवला योजना से उनके लिए गैस कनेक्शन दिया गया, जिससे उन्हें चूल्हे पर कंडा, लकड़ी जलाकर खाना बनाने और धुएं से मुक्ति मिल गयी। यही नहीं उन्हें मकान के साथ ही स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत शौचालय भी बनाकर दिया गया, जिससे वे शौच के लिए बाहर नहीं जाते। महात्मा गांधी नरेगा से उन्हें 90 दिवस की मजदूरी का भुगतान भी किया गया।

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