छत्तीसगढ़

लंपी वायरस के लक्षणों को देखते हुए पशु चिकित्सा विभाग ने उपचार और सावधानी के लिए पशुपालकों को दी सलाह

जगदलपुर, 11 जनवरी 2022/ वर्तमान में जिला बस्तर के विकासखण्ड-जगदलपुर के ग्राम सरगीपाल करकापाल के 12 गोवंशीय पशुओं में एवं बकावण्ड विकासखंड के ग्राम मसगांव के 01 गोवंशीय पशु में लम्पी स्किन डिसीज के लक्षण पाए गए हैं। लम्पी स्किन डिसीज रोग से ग्रसित पशुओं का रक्त नमुना जल स्वेव ले कर उच्च स्तरीय जाँच हेतु 9 दिसंबर को राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान (एनआईएचएसएडी) भोपाल भेजा गया था, जिसकी जांच रिपोर्ट दिनांक 4 जनवरी को प्राप्त हुई। जांच रिपोर्ट में लम्पी स्किन रोग की पुष्टि हुई है। यह रोग एक विषाणु जनित संक्रामक रोग है यह रोग वेक्टर (जैसे- जू. किलनी मच्छर मक्खी आदि) के माध्यम से फैलता है। इस रोग में बुखार के साथ पूरे शरीर में छोटे-छोटे गुठली बन जाते है। लम्बी स्किन डिसीज के संक्रमण से दुधारू पशुओं की दुध उत्पादन क्षमता एवं भारवाहक पशुओं की कार्यक्षमता पर विपरित प्रभाव पडता है फलस्वरूप पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।

लम्पी स्किन रोग के नियंत्रण हेतु भारत सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशानुसार सर्वप्रथम संक्रमित पशुओं को स्वस्थ्य पशुओं से अलग रखना, दूसरे प्रदेशों से पशुओं के आवागमन को रोकना, वेक्टर नियंत्रण (मच्छर मक्खी कीलनी) को रोकने हेतु कीटनाशक दवा का छिड़काव करना। संक्रमित ग्रामों के 05 कि.मी. के परिधि में गोटपॉक्स वैक्सीन से रिंग वैक्सीनेशन किया जाता है।
बस्तर जिला उड़ीसा राज्य की सीमा से जुड़ा है, इसलिये जिले के सीमावर्ती ग्रामों में अन्य राज्यों से पशुओं के आवागमन पर नियंत्रण हेतु चेकपोस्ट स्थापित कर नियमित बार्डर चेकिंग का कार्य किया जा रहा है। लम्पी स्किन रोग से बचाव एवं रोकथाम हेतु पशुधन विकास विभाग द्वारा नियमित रूप से गोटपॉक्स वैक्सीन से पशुओं में टीकाकरण एवं कीटनाशक दवा का छिड़काव किया जा रहा है। लक्षण पाए गए पशुओं का उचित उपचार किया गया। इस रोग से जिले में किसी भी पशु की मृत्यु नहीं हुई है। जिला बस्तर में गोट पॉक्स टीका द्रव्य 256200 मात्रा क्रय किया गया है । 9 जनवरी तक जिले में 153992 पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है एवं टीकाकरण कार्य जारी है।

भारत सरकार के दिशा निर्देशानुसार बस्तर कलेक्टर श्री चंदन कुमार द्वारा जिले के अंतर्गत लगने वाले सभी पशु बाजार पशुओं के आवागमन तथा पशु मेला आयोजन पर आगामी आदेश तक पूर्णतः प्रतिबंध लगाया गया है।
बस्तर जिले के पशुओं में वर्तमान समय में कुछ क्षेत्रों में लम्पी स्कीन रोग के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, जिसमें पशु को तेज बुखार, शरीर के भाग में गठान हो कर घाव बन जाना शामिल है।

पशुओं में लम्पी स्कीन रोग के लक्षण को देखते हुए पशु चिकित्सा विभाग द्वारा सभी पालकों को लम्पी स्कीन रोग के बचाव हेतु सुझाव दिए गए हैं। इसके तहत रोग ग्रस्त पशुओं को स्वस्थ्य पशुओं से अलग रखने, भैंसवंशीय पशुओं को गौवंशीय पशुओं से अलग रखने, पशुगृहों की साफ-सफाई और निर्जन्तुकरण, स्वस्थ पशुओं एवं पशुगृह में नियमित जूँ किलनी नाशक दवा का छिड़काव, रोग ग्रस्त पशुओं के संपर्क में आने वालो व्यक्ति को हमेशा ग्लोब्स (दस्ताने) एवं मास्क पहनकर पशुओं के समीप जाना, असामान्य बीमारी के लक्षण पाये जाने पर निकटस्थ पशु चिकित्सालय या पशु औषधालय में सूचना, रोग ग्रस्त पशु की मृत्यु होने पर उसे स्वच्छता के कदम उठाते हुये गहरे गड्ढे में चूना डालकर दफनाना चाहिए। यह रोग वेक्टर के माध्यम से फैलने के कारण पशुओं पर एवं पशुगृह में वेक्टर नियंत्रण जूँ किलनी नाशक दवा का छिड़काव अवश्य किया जाना चाहिए।

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