छत्तीसगढ़

परिवार नियोजन सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी नहीं पुरुष भी आगे आयें पुरुष नसबंदी 5 मिनट में होने वाली एक आसान प्रक्रिया – डॉ.टोंडर

रायपुर, जुलाई 2022, बीते वर्ष पुरुष नसबंदी अपनाने वाले मोहन साहू (38) को परिवार नियोजन के अस्थायी साधन के इस्तेमाल में दिलचस्पी नहीं थी क्योंकि उसका परिवार पूरा हो चुका था। इसलिये उसने खुद की नसबंदी कराने का निर्णय लिया। नसबंदी के अनुभवों को बताते हुए उन्होंने कहा, “यह बहुत ही सरल सी प्रक्रिया थी जो केवल 5 मिनट में पूरी हुई।  नसबंदी के बाद आदमी अपने दैनिक कार्य कर सकता है और यौन सुख में भी कोई कमी नहीं आती है।“

मोहन साहू ने नसबंदी करवा के न केवल समझदारी का प्रदर्शन दिया बल्कि समुदाय को एक सन्देश भी दिया कि परिवार नियोजन केवल महिलाओं की ही नहीं बल्कि पुरुषों की भी ज़िम्मेदारी है। परिवार नियोजन सेवाओं से जनसँख्या स्थिरीकरण तभी हो सकता है जब पुरुष भी खुले मन से परिवार नियोजन साधनों को अपनाने के लिये आगे आयें।  

परिवार कल्याण के उप संचालक डॉ. टी.के.टोंडर ने पुरुष नसबंदी से जुड़ी धारणाओं के बारे में जानकारी देते हुए बताया: “कुछ लोगों का यह मानना है कि पुरुष नसबंदी से शारीरिक कमजोरी आती है यह बिलकुल ही गलत धारणा है। इसको मन से निकालकर यह जानना अति आवश्यक है कि महिला नसबंदी की तुलना में पुरुष नसबंदी एक सरल और सुरक्षित प्रक्रिया है। दो बच्चों के जन्म में अंतर रखने के लिए या जब तक बच्चा न चाहें तब तक पुरुष अस्थायी साधन कंडोम का इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं परिवार पूरा होने पर परिवार नियोजन का स्थायी साधन नसबंदी अपनाकर अपनी अहम जिम्मेदारी निभा सकते हैं, उन्होंने बताया।“   

डॉ. टोंडर ने आगे कहा: ‘’पुरुष नसबंदी चंद मिनट में होने वाली एक आसान प्रक्रिया है। यह 99.9 फीसदी प्रभावी है। महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी एक सरल और आसान प्रक्रिया है । नसबंदी के तीन माह बाद वीर्य की जांच की जाती है। जांच में शुक्राणु शून्य पाए जाने की दशा में ही नसबंदी को सफल माना जाता है।‘’

राज्य में सबसे ज्यादा पुरुष नसबंदी कर चुके डॉ. संजय नवल सर्जन (एनएसवी) (यानि पुरुष नसबंदी) कहते है: ‘पुरुष नसबंदी जन्म दर को रोकने का एक स्थायी, प्रभावी और सुविधाजनक उपाय है। यह यौन जीवन को बेहतर बनाता है। सहवास के दौरान गर्भ ठहरने की मानसिक चिंता को दूर करता है। पुरुष नसबंदी एक सामान्य प्रक्रिया है जो शासकीय चिकित्सालयों में निशुल्क की जाती हैं। पुरुषों के अंडकोष में एक नलिका होती है जो अंडकोष से शुक्राणु को मूत्रमार्ग तक ले जाने का कार्य करती है। इस मार्ग को रोकने के लिए नसबंदी की प्रक्रिया की जाती है ।‘’

‘’पुरुष नसबंदी और स्त्री नसबंदी में किसी एक को चुनना हो, तो पुरुष नसबंदी को चुनना बेहतर होगा। पुरुष नसबंदी के लिए अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत नहीं होती ,‘’ डॉ. नवल का कहना है ।  

लाभार्थी को मिलते हैं 3,000 रुपए

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक परिवार नियोजन आनंद साहू बताते हैं: “नसबंदी करवाने पर पुरुष लाभार्थी को 3,000 रुपए दिए जाते हैं जो उसके बैंक खाते में जमा होते हैं। नसबंदी के लिए चार योग्यताएं प्रमुख हैं- पुरुष विवाहित होना चाहिए, उसकी आयु 60 वर्ष या उससे कम हो और दंपति के पास कम से कम एक बच्चा हो जिसकी उम्र एक वर्ष से अधिक हो। पति या पत्नी में से किसी एक की ही नसबंदी होती है। गैर सरकारी व्यक्ति के अलावा अगर मितानिन, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरक की भूमिका निभाती हैं तो उन्हें भी 400 रुपए देने का प्रावधान है।“

साल दर साल बढ़ रहा पुरुष नसबंदी का ग्राफ

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक परिवार नियोजन आनंद साहू ने बताया: “राज्य में वित्तीय वर्ष 2020-21 में 2,826 पुरुषों ने नसबंदी करवाई, वहीं वर्ष 2021-22 में 4,429 पुरुषों ने नसबंदी करवाई है। वहीं 2020-21 में 50.87 लाख कंडोम का उपयोग हुआ जो 2021-2022 में बढ़कर 57.35 लाख हुए।“

 यह भी प्रावधान

नसबंदी के विफल होने पर 60,000 रुपए की धनराशि दी जाती है। नसबंदी के बाद सात दिनों के अंदर मृत्यु हो जाने पर 4 लाख रुपए की धनराशि दी जाती है । नसबंदी के 8 से 30 दिन के अंदर मृत्यु हो जाने पर एक लाख रुपए की धनराशि दिए जाने का प्रावधान है। नसबंदी के बाद 60 दिनों के अंदर जटिलता होने पर इलाज के लिए 50,000 रुपए की धनराशि दी जाती है ।

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