जगदलपुर, मई 2022/ जिला न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री आलोक कुमार ने शनिवार को 14 मई को आयोजित होने वाले नेशनल लोक अदालत की तैयारियों की समीक्षा की। इस लोक अदालत में आपराधिक शमनीय प्रकरण, व्यवहार वाद के प्रकरण, मोटर दुर्घटना दावा के प्रकरण, धारा 138 नि0ई0एक्ट के प्रकरण, पारिवारिक विवाद के प्रकरण, श्रम विवाद के प्रकरण, राजस्व प्रकरण एवं अन्य राजीनामा योग्य प्रकरण साथ-साथ राशि वसूली से संबंधित विवाद पूर्व प्रकरणों (प्री-लिटिगेशन) का निराकरण किया जाएगा।
नेशनल लोक अदालत में अधिक से अधिक प्रकरणों के निराकरण करने के लिए न्याय सदन भवन में जिले के प्रमुख बीमा कंपनियों के शाखा प्रबंधकों, बीमा कंपनियों के अधिकृत अधिवक्ताओं जिले के सभी बैंकों, विद्युत विभाग, नगरनिगम, बी.एस.एन.एल. के अधिकारियों के साथ-साथ दावा प्रकरणों के अधिवक्ताओं एवं धारा 138 एन.आई.एक्ट के अधिवक्ताओं के साथ एक बैठक आयोजित किया गया। बैठक में जिला न्यायाधीश द्वारा अधिवक्ताओं एवं अधिकारियों को नेशनल लोक अदालत की सफलता हेतु पक्षकारों को लोक अदालत की महत्ता बताते हुए उन्हें अपने प्रकरणों को राजीनामा के माध्यम से निराकृत किए जाने हेतु प्रोत्साहित करने का आग्रह किया गया तथा नेशनल लोक अदालत में अपना सहयोग एवं सहभागिता देते हुए अधिक से अधिक प्रकरणों को निराकृत कराने हेतु प्रेरित किया गया ।
बैठक में जिला न्यायाधीश द्वारा परिवार न्यायालय के न्यायाधीश श्री मनीष कुमार ठाकुर एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव गीता बृज की उपस्थिति में अधिवक्ताओं एवं अधिकारियों को नेशनल लोक अदालत में प्रकरणों के निराकरण के संबंध में आवश्यक सुझाव भी आमंत्रित किए गए।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव गीता बृज ने यह भी बताया कि नेशनल लोक अदालत में पक्षकारों के मध्य सुलह समझौता एवं राजीनामा के आधार पर उनके मध्य उत्पन्न विवादों का समाधान किया जाएगा। जिसमें अधिक से अधिक नागरिक लाभान्वित होकर अपने मामलों का निराकरण करा सकेंगे। लोक अदालत लोगों को शीघ्र एवं सस्ता न्याय सुलभ कराने का एक सशक्त माध्यम तथा विवादों को आपसी समझौते के द्वारा सुलझाने के लिये एक वैकल्पिक मंच है। लोक अदालत में न्यायालय में लंबित या विवाद पूर्व प्रकरणों का आपसी समझाईस एवं सुलह के आधार पर सौहार्दपूर्ण वातावरण में निराकरण कराया जाता है। उक्त संबंध में यह भी विदित हो कि आयोजित नेशनल लोक अदालत में समझौता के माध्यम से प्रकरण के निराकरण में विवाद का अंत हो जाता है, जिससे समय एवं धन की बचत होती है।