छत्तीसगढ़

मेट बनकर रजन्ती ने बदली जीवन की दिशा

अम्बिकापुर मार्च 2022/ जिले के विकासखंड मुख्यालय उदयपुर से 28 कि.मी. की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत बूले निवासी कुमारी रजन्ती ने मनरेगा मेट बनकर अपनी जीवन की बदल दी है। रजन्ती अपने गांव में न केवल कॉलेज में प्रथम वर्ष में प्रवेश लेकर उज्ज्वल किया बल्कि वह अपने गांव की पहली महिला मेट भी बनी जो मनरेगा के कार्यस्थलों पर गोदी की नाप-जोख तथा सभी कार्यों को करने में निपुण बनी।
ग्राम पंचायत बूले दूरस्थ वनांचल क्षेत्र है वहां लड़कियों के लिए पढ़ाई करना ही एक कठिन चुनौती है वहां कि मांझी जनजाति से ताल्लुक रखने वाली कुमारी रजन्ती के परिवार में सिर्फ उनके पिता श्री महेत है, उनकी माता का निधन पहले हो चुका है। परिवार में इकलौती कमाऊ सदस्य है जो पढ़ाई के साथ मनरेगा मेट का भी कार्य कर अपने परिवार का भरण पोषण करती है।
2 वर्ष पहले जब ग्राम पंचायत में सचिव श्री अमित सोनी से पता चला कि पढ़ी-लिखी महिलाए भी मनरेगा मेट बन सकती है तो उसकी खुशी का ठिकाना नही रहा परंतु कैसे और क्या-क्या काम करना होगा को लेकर उसके मन में संशय था। तकनीकी सहायक विकास रवि के मार्गदर्शन में कार्यस्थल पर मेट का पांच दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त करने बाद उसे यह राह बहुत आसान लगी।
रजन्ती बताती है कि पहले उसे डर लगता था कि कहीं गोदी की नाप जोख ऊपर नीचे न हो जाए, परंतु आज वह अपने सभी काम जैसे गोदी की नाप करना मस्टर रोल में उपस्थिति लेना, मेट रजिस्टर भरना आदि कार्य में निपुण हो चुकी है जाब कार्ड भरना, कार्यस्थल पर सुविधाओं का ध्यान रखना सभी कार्यों में दक्ष हो चुकी है।
मेट बनने के बाद रजन्ती गांव की महिलाओं को मनरेगा में ज्यादा से ज्यादा कार्य करने को लेकर उत्साहित करती है। महिलाओं को उनकी आजीविका संबंधित कार्य मुर्गी शेड, बकरी शेड, आदि बनवाने के लिए भी प्रेरित करती है जिससे प्रेरित होकर उनकी गांव की कई महिलाओं ने बकरी पालन हेतु बकरी शेड का निर्माण कराया है। आज रजन्ती अपने मेट के कार्य से काफी खुश है तथा अन्य महिलाओं के लिए आदर्श भी है।

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