छत्तीसगढ़

कोटवार के दोषी होने की स्थिति में कोटवार नियुक्ति में वारिस को नहीं मिलेगी प्राथमिकता- संभागायुक्त

दुर्ग, फरवरी 2022/ कोटवार नियुक्ति से संबंधित एक प्रकरण में आज संभागायुक्त दुर्ग ने अहम निर्णय दिया है। निर्णय में उन्होंने कोटवार के दोषी होने की स्थिति कोटवार नियुक्ति में वारिस को प्राथमिकता नहीं दिये जाने संबंधी निर्णय लिया है। उनके पास ग्राम घुमका का एक प्रकरण अपील के लिए आया था। आवेदक ने एसडीएम न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध संभागायुक्त के पास अपील की थी। श्री महादेव कावरे द्वारा न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) राजनांदगांव के पारित आदेश को विधि सम्मत नहीं पाए जाने पर निरस्त किया गया है। उन्होंने अपने निर्णय के माध्यम से विभिन्न बिंदुओं पर प्रकाश भी डाला जिसमें उन्होंने अस्थाई कोटवार की नियुक्ति के अधिकार क्षेत्र व कोटवार के दोषी होने पर उसके वारिस की कोटवार की नियुक्ति में प्राथमिकता पर अपना मत दिया।
इस प्रकरण के तहत् नायब तहसीलदार द्वारा जिला राजनांदगांव ग्राम घुमका के कोटवार मेघराम को कार्य में अनियमित पाए जाने पर पदच्युत किया गया। इसके पश्चात् कोटवार मेघराम के द्वारा पुत्र रामसुख के लिए ग्राम बहेराभाठा के कोटवारी के रिक्त पद पर नियुक्ति के लिए नायब तहसीलदार राजनांदगांव के समक्ष् आवेदन किया गया। जिनका नायब तहसीलदार ने ईश्तहार प्रकाशन कराया। प्रकाशित ईश्तहार पर ग्राम पंचायत बहेराभाठा द्वारा आपत्ति दर्ज कराई गई। प्रकरण में उभयपक्ष की सुनवाई कर चरित्र प्रमाण पत्र थाना घुमका से आहुत किया गया। इसके पश्चात् ग्राम पंचायत बहेराभाठा से सर्वसहमति से कोटवार उम्मीदवार के रूप में भरत लाल बंजारे के नाम पर प्रस्ताव पारित किया गया। जिसके आधार पर नायब तहसीलदार राजनांदगांव ने भरत लाल को ग्राम बहेराभाठा का अस्थाई कोटवार नियुक्त करने का प्रस्ताव पारित किया। इस आदेश के विरूद्ध रामसुख द्वारा न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी राजस्व राजनांदगांव के समक्ष् अपील प्रस्तुत की गई। जिसमें उभयपक्ष की सुनवाई के उपरांत 09 अक्टूबर 2020 को नायब तहसीलदार घुमका के आदेश को निरस्त कर छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 230 की कंडिका (2) का पालन करने निर्देशित किया गया।
इस प्रकरण में श्री महादेव कावरे आयुक्त दुर्ग संभाग ने संज्ञान लेते हुए न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी (रा.) राजनांदगांव के 09 अक्टूबर 2020 के आदेश को विधि सम्मत न मानते हुए निरस्त किया और अपीलार्थी भरत लाल के अपील को स्वीकार करते हुए न्यायालय नायब तहसीलदार धुमका राजनांदगांव द्वारा पारित 29 अगस्त 2019 के आदेश को यथावत् रखा। आयुक्त के द्वारा यह फैसला भी किया गया है कि यदि पूर्व कोटवार को किसी कार्य के लिए दोषी मानते हुए पदच्युत किया गया है तो उसका वारिस कोटवार की नियुक्ति में प्राथमिकता का हकदार नहीं होगा।

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