“पूना मारगेम” से जनविरोधी माओवादी विचारधारा का खात्मा,
बस्तर में हो रही शांति की स्थापना।
आज कांकेर जिले में “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” पहल के तहत 21 नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण किया है। यह हमारी “आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति – 2025” और “नियद नेल्ला नार योजना” की सफलता का सार्थक प्रमाण है, जिससे नक्सल प्रभावित इलाकों में विश्वास और बदलाव की नई बयार बह रही है।
माओवाद की झूठी विचारधारा से भटके युवा भी अब यह समझने लगे हैं कि बंदूक नहीं, विकास की राह ही भविष्य का सही विकल्प है। हमारी सरकार इन आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास और पुनरुत्थान के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध हैं।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन और केन्द्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह जी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने बस्तर के लोगों का विश्वास जीता है, उसी का परिणाम है कि लगातार माओवादी संगठन कमजोर हो रहे हैं और बड़ी संख्या में वे हिंसा का रास्ता छोड़ रहे हैं।
बस्तर अंचल में नक्सलवाद की कमर टूट चुकी है और बस्तर तेजी से शांति और विकास की ओर बढ़ रहा है। हमारी डबल इंजन की सरकार 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सलमुक्त बनाने के लिए संकल्पबद्ध है।
-श्री विष्णु देव साय
मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ शासन



