छत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान के तहत सरगुजा संभाग में मिशन शैक्षिक गुणवत्ता एवं शत-प्रतिशत परीक्षा परिणाम पर कार्यशाला


अम्बिकापुर, 11 अगस्त 2025/sns/- स्कूल शिक्षा विभाग, सरगुजा संभाग के तत्वाधान में आज शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, अम्बिकापुर के सभागार में मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान के अन्तर्गत “मिशन शैक्षिक गुणवत्ता एवं शत-प्रतिशत परीक्षा परिणाम” विषयक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संभागायुक्त श्री नरेंद्र दुग्गा एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता संयुक्त संचालक लोक शिक्षण सरगुजा श्री संजय गुप्ता ने की। सहायक आयुक्त (आदिवासी विकास) डॉ. ललित शुक्ला और विवेकानंद शिक्षा समूह के स्वामी तनमय्यानंद विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

कार्यशाला में संभाग के सभी जिलों के चिन्हांकित जिला शिक्षा अधिकारी, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) के प्रतिनिधि, प्राचार्य, विकासखण्ड स्त्रोत केंद्र समन्वयक, सहायक विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, संकुल स्त्रोत केंद्र समन्वयक, शिक्षक और सम्मानित शिक्षाविदों ने भाग लिया। संयुक्त संचालक शिक्षा श्री संजय गुप्ता ने स्वागत-प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जबकि शाला स्तरीय शिक्षा गुणवत्ता से संबंधित विचार श्री आशीष भट्टाचार्य (कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल, विश्रामपुर) ने साझा किए। कार्यक्रम का संचालन सहायक संचालक द्वारा किया गया व आभार प्रदर्शन सहायक संचालक श्री अजय मिश्रा ने किया।

इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य संभाग स्तर पर कक्षा प्रथम से बारहवीं तक के लिए वार्षिक शैक्षणिक कार्ययोजना विकसित कर, शिक्षण-अधिगम की गुणवत्ता में सुधार लाना तथा बोर्ड परीक्षाओं (कक्षा 10वीं एवं 12वीं) में शत-प्रतिशत परिणाम प्राप्त करने के लिये ठोस रणनीति निर्धारित करना था। कार्यक्रम में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (छम्च्) के सिद्धांतों, वार्षिक शैक्षणिक कैलेंडर के अनुपालन, और पाठ्येतर गतिविधियों के माध्यम से समग्र छात्र विकास पर विशेष चर्चा हुई।

कार्यशाला में संभागायुक्त श्री नरेंद्र दुग्गा ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में नवीन तकनीकों का समुचित और विवेकपूर्ण उपयोग, शिक्षक क्षमता विनिर्माण और विद्यार्थियों के सीखने के परिणामों (लर्निंग आउटकम्स) पर सतत कार्य जरूरी है। उन्होने ड्रॉप-आउट को शून्य करने का लक्ष्य सभी से साझा किया।

संयुक्त संचालक श्री संजय गुप्ता ने संवेदनशील विषयों, मूल्यांकन रणनीतियों, कक्षावार पाठ्यक्रम अनुपालन और शिक्षक प्रशिक्षण पर प्रकाश डाला।

स्वामी तनमय्यानंद ने नैतिक शिक्षा, चरित्र निर्माण और स्कूल-स्तरीय जीवन-कौशल पाठ्यक्रम के सम्मेलन पर अपने अनुभव साझा किए।

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान केंद्र (डाइट) तथा सफल विद्यालयों के प्राचार्यों ने मॉडल-पाठ, शिक्षण-माध्यम व पैरेंट-टीचर सहभागिता के सफल प्रयोग प्रस्तुत किये।

कार्यशाला में उठाए गए प्रमुख बिंदु एवं अनुशंसाएं
मैदानी-आधारित कार्य योजना स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप प्रत्येक जिला और विकासखण्ड अपनी वार्षिक शैक्षणिक कार्ययोजना तैयार कर शीघ्र विद्यालयों तक पहुँचाएंगे। नियामक-मॉनिटरिंग तंत्रः जिला व विकासखंड स्तर पर विशेष मॉनिटरिंग टीम गठित कर नियमित निरीक्षण और प्रगति रिपोर्टिंग सुनिश्चित होगी।
टेक्नोलॉजी का समेकित उपयोगः डिजिटल क्लासरूम, ऑनलाइन लर्निंग मॉड्यूल और सीखने की प्रगति ट्रैकर के लिए डाइट के माध्यम से विशेष शिक्षक प्रशिक्षण सत्र आयोजित होंगे। मूल्यांकन सुधार तिमाही मूल्यांकन, वैकल्पिक परीक्षाएं और कक्षा-वार फीडबैक प्रणाली लागू कर कमजोर विषयों में समय पर सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे। शिक्षक क्षमता निर्माण मास्टर ट्रेनर मॉडल के तहत क्लस्टर-स्तर पर निरंतर प्रशिक्षण और सह-शिक्षक मेंटरशिप प्रोग्राम चलाए जाएंगे। ड्रॉप-आउट रोकथाम स्कूल-घर-समुदाय समन्वय से कारणों का विश्लेषण कर संवेदनशील परिवारों के लिए विशेष शैक्षिक पहल होगी। शैक्षिक संसाधन विकास प्रयोगशालाओं, पुस्तकालयों और गतिविधि-किट के माध्यम से शिक्षण को अधिक रोचक और प्रभावी बनाया जाएगा। समावेशी शिक्षा विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों के लिए अनुकूल शिक्षण रणनीतियाँ और सहायक संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे।

कार्यशाला में तय किया गया कि सभी अनुशंसाओं को स्वीकार कर संबंधित विभागों को आवश्यक निर्देश जारी किए जाएंगे। डाइट और जिला स्तर पर उन्हें कार्य योजनाओं में रूपांतरित कर विद्यालयों तक पहुंचाया जाएगा। साथ ही शिक्षक प्रशिक्षण, मासिक मॉनिटरिंग और संसाधन उपलब्धता सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया जाएगा।

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