छत्तीसगढ़

जैविक कृषि और पशुपालन से ‘लखपति दीदी’ बन रही ग्रामीण महिलाएंछत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ‘बिहान’ के माध्यम से स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को मिल रही आत्मनिर्भरता की नई पहचान


रायगढ़, 1 अगस्त 2025/sns/ एक समय था जब गांव की महिलाएं केवल घरेलू कार्यों तक सीमित थीं, लेकिन अब वे जैविक कृषि, पशुपालन और माइक्रो-उद्यमिता के जरिए लखपति दीदी बनकर नई मिसाल कायम कर रही हैं। यह बदलाव संभव हो पाया है छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) और एन.आर.एल.एम. के सतत प्रयासों से, जिसके अंतर्गत रायगढ़ जिले की 1 लाख 45 हजार 49 महिलाएं 13 हजार 500 स्व-सहायता समूहों से जुड़ चुकी हैं। स्व-सहायता समूहों की महिलाएं अब गांवों में वित्तीय, सामाजिक और तकनीकी रूप से सशक्त बन रही हैं। समूहों द्वारा न केवल नियमित बचत और ऋण लेन-देन किया जा रहा है, बल्कि विभिन्न विभागों के साथ समन्वय कर शासन की योजनाओं का भी लाभ उठाया जा रहा है।
            रायगढ़ जिले के जनपद पुसौर, खरसिया और धरमजयगढ़ के 40-40 कृषि मित्र और पशु सखी चिन्हित कर उन्हें प्रशिक्षण देकर जैविक खेती और पशु पालन के क्षेत्र में कार्यरत किया गया है। कृषि मित्र समूहों को जैविक खाद और जैविक दवा बनाने का प्रशिक्षण देती हैं और स्वयं खेतों में उसका उपयोग कर स्थायी कृषि को बढ़ावा दे रही हैं। इससे उनकी आमदनी में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है और वे लखपति दीदी के रूप में पहचान बना रही हैं। वहीं, पशु सखी पशुओं के घरेलू उपचार की विधियों से पशु स्वास्थ्य सुधार का कार्य कर रही हैं, जिससे दुग्ध उत्पादन बढ़ा है और पशुपालन लाभदायक बना है। इन महिलाओं ने अपने अनुभवों से यह साबित किया है कि स्वदेशी ज्ञान और आधुनिक प्रशिक्षण का समन्वय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में क्रांति ला सकता है। वित्तीय सशक्तिकरण की नई उड़ान वर्ष 2025-26 में अब तक जिले के 1,045 समूहों को 28 करोड़ 37 लाख रुपये की बैंक क्रेडिट लिंकिंग के माध्यम से आजीविका गतिविधियों हेतु वित्त पोषित किया गया है। माइक्रो क्रेडिट योजना के तहत समूहों को प्रथम, द्वितीय और तृतीय डोज के रूप में ऋण उपलब्ध कराए जा रहे हैं। महिलाएं इस राशि का प्रयोग कर कृषि, पशुपालन, मुर्गीपालन, लघु उद्योग, मत्स्य पालन, और अन्य कार्यों से जुड़कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं।
कलेक्टर श्री मयंक चतुर्वेदी के निर्देशानुसार एवं सीईओ जिला पंचायत श्री जितेन्द्र यादव के मार्गदर्शन में जिले के समूह की महिलाओं को कम से कम तीन आजीविका गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है, जिससे महिलाएं लखप

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