छत्तीसगढ़

उर्वरकों का भण्डारण-वितरण कार्य प्रगति पर



दुर्ग, 01 जुलाई 2025/sns/-
जिले में मानसून सक्रिय होने के पश्चात् से खरीफ कृषि कार्य में तेजी आई है।  बुआई हेतु मौसम अनुकुल होने से खरीफ फसल बुआई कार्य प्रगति पर है। कृषकों की मांग अनुसार उर्वरकों का प्राथमिक सहकारी समितियों एवं निजी प्रतिष्ठानों में भण्डारण एवं वितरण प्रगति पर है।
उप संचालक कृषि से मिली जानकारी अनुसार जिले में उर्वरक की अद्यतन स्थिति यूरिया-27600 मि.टन, सिंगल सुपर फास्फेट-18310 मि.टन, पोटाश-5700 मि.टन, डी.ए.पी.-5267 मि.टन, 12ः32ः16-3666 मि.टन व अन्य 17484 मि.टन कुल 78027 मि.टन का लक्ष्य के विरूद्ध यूरिया-20642 मि.टन, सिंगल सुपर फास्फेट-14223 मि.टन, पोटाश-5283 मि.टन, डी.ए.पी.-6744 मि.टन, 12ः32ः16-978 मि.टन व अन्य 4773 मि.टन कुल 52643 मि.टन का भण्डारण कर यूरिया-16862 मि.टन, सिंगल सुपर फास्फेट-8193 मि.टन, पोटाश-3815 मि.टन, डी.ए.पी.-6293 मि.टन, 12ः32ः16-371 मि.टन व अन्य 4445 मि.टन कुल 39979 मि.टन अद्यतन वितरण प्राथमिक सहकारी समितियों एवं निजी प्रतिष्ठानों के माध्यम से कृषकों को किया गया है।
वैश्विक समस्या के कारण गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष डी.ए.पी. उर्वरक वितरण का कम लक्ष्य आबंटित किये जाने के फलस्वरूप कृषकों को डी.ए.पी. की जगह अन्य वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग करने हेतु व्यापक समझाईश एवं प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। डी.ए.पी. उर्वरक का उपयोग मुख्यतः बुआई के समय किया जाता है, जिसमें मृदा की अम्लीयता में वृद्धि होने से लम्बी अवधि में फसल उत्पादन पर विपरीत प्रभाव भी पड़ता है। इसके विपरीत डी.ए.पी.के के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट के उपयोग से फास्फोरस के साथ सूक्ष्म तत्व सल्फर, कैल्शियम जिंक जैसे पोषक तत्व होते है, जो पौधों के विकास के लिए आवश्यक है।
वर्तमान में यूरिया-3194 मि.टन, सिंगल सुपर फास्फेट-2296 मि.टन, पोटाश-1131 मि.टन,  डी.ए.पी.-444 मि.टन, 12ः32ः16-607 मि.टन व अन्य 233 मि.टन कुल 7905 मि.टन उर्वरक जिले के प्राथमिक सहकारी समितियों एवं निजी प्रतिष्ठानों में शेष है। कृषक आवश्यकतानुरूप खाद का उठाव अपने निकटस्थ सहकारी समितियों/निजी प्रतिष्ठानों से कर सकते है।
विभाग द्वारा समस्त मैदानी अमलों को कृषकों की आवश्यकतानुरूप डी.ए.पी. के स्थान पर अन्य वैकल्पिक उर्वरकों के समूहों को उपयोग करने व्यापक रूप से प्रचारित किया जा रहा है। कृषक बंधुओं से अपील की गई है कि वे वर्तमान में ज्यादा से ज्यादा यूरिया + सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की अनुशंसानुसार कर सकते है।

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