अंबिकापुर 24 अगस्त 2023/ मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आर एन गुप्ता के निर्देशानुसार एवं नोडल अधिकारी डॉ शैलेन्द्र गुप्ता के मार्गदर्शन में जिला तम्बाकू नियंत्रण इकाई द्वारा मानसिक रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत सयुंक्त रूप से शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययनरत छात्र-छात्रों को तम्बाकू युक्त पदार्थ के दुष्परिणाम के सम्बंध में बताने एवं मानसिक स्वास्थ्य संबंधी के सम्बंध में जागरूक करने हेतु जिले में अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में मॉन्टफोर्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल में शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग के आपसी समन्वय से उपस्थित छात्र-छात्राओं को तम्बाकू एवं धूम्रपान के दुष्परिणाम संबंधी जानकारी जिला सलाहकार श्री हनी गॉटलिब के द्वारा दी गई। उन्होंने तम्बाकू युक्त उत्पाद के उपभोग से होने वाले नुकसान से छात्र-छात्राओं एवं उनके अभिभावकों को सेवन नहीं करने की समझाईस दी। इसके साथ ही शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं के समन्वय हेतु जागरूकता तथा कोटपा अधिनियम की धाराओं को विस्तृत रूप से समझाया गया।
इस दौरान बताया गया कि तम्बाकू के उपभोग करने वाले बच्चों की संख्या पूरे भारत देश में सर्वाधिक है, कम उम्र में इसके सेवन से बच्चों के मानसिक, शारीरिक बुद्धि विकसित करने में अवरोध तथा कई बीमारियां को उत्पन्न करता है। जागरूकता के अभाव में युवा वर्ग तंबाकू का सेवन कर रहे हैं। तंबाकू सेवन से कैंसर जैसे असाध्य बीमारी के साथ ही बीपी, श्वसन और रक्तचाप में वृद्धि होती है। समाज में इसका चलन बढ़ता जा रहा है। तंबाकू में निकोटिन की मात्रा अधिक होने से शरीर के लिए घातक है, तंबाकू के चबाने और पीने से निकोटिन की मात्रा रक्त में मिल जाती है। इससे एड्रीनल ग्लैंड को क्रियाशील करता है। जिसके कारण हार्मोन इपीमेफ्रीन का उत्सर्जन होता है। हार्मोन सेंट्रल नर्वस सिस्टम सीएनएस को प्रभावित करता है। जिससे रक्तचाप, श्वसन और ह्दय गति में वृद्धि होती है। पाचन तंत्र के साथ शरीर की विभिन्न तंत्र की कार्य क्षमता प्रभावित होती है। तंबाकू सेवन से मुंह सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। कैंसर होने की संभावना रहती है। तंबाकू कई खतरनाक बीमारियों का प्रमुख कारण है। गुटखा चबाने से मुंह का कैंसर होता है। इससे आंखों की रोशनी पर भी प्रभाव पड़ता है। भूख में कमी आने लगती और शरीर कमजोर होने लगता है। वहीं सिगरेट पीने से ह्दय रोग का खतरा बना रहता है। इतना ही नहीं ब्लड प्रेसर, मधुमेह, कमजोरी आदि रोग भी इससे होता है।
उन्होंने बताया कि सामाजिक वातावरण ही बच्चों को अच्छा और बुरा का ज्ञान बोध कराता है। तंबाकू सेवन की लत बढ़ते इच्छा शक्ति के उपरांत ही लत से मुक्ति पाई जा सकती है। युवाओं को मानसिक रूप से तैयार होकर इससे मुक्ति के लिए सोच विकसित करनी होगी। ऐसे दोस्तों के साथ युवा उठना-बैठना कम कर दे जो इसका सेवन करते हैं। आसानी से इस लत से उन्हें छुटकारा मिल जाएगा। तंबाकू की लत से मुक्ति के लिए जागरूकता फैलानी भी जरूरी है। जो इसका सेवन करते हैं उन्हें इसके दुष्परिणामों से अवगत कराना होगा।मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम जागरूकता हेतु साइक्रेट्रिक नर्सिग ऑफिसर श्रीमती नीतु केसरी के द्वारा छात्र-छात्राओं को मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में बताते हुए कहा कि ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य से अनजान रहते हैं। बच्चे के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की अनदेखी करने से कभी-कभी गंभीर परिणाम हो सकते हैं। आम तौर पर मध्यम आयु वर्ग के वयस्कों को तनाव जुड़ा होता है, लेकिन छात्रों के लिए मानसिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है। हम अक्सर कहते हैं कि बच्चों का दिमाग कुम्हार की मिट्टी की तरह होता है और हम उसे जैसा चाहें वैसा आकार दे सकते हैं। शिक्षक और माता-पिता के रूप में हम बच्चों को सर्वोत्तम वातावरण और सुविधाएं देने का प्रयास करते हैं लेकिन कभी-कभी यह वह सर्वोत्तम नहीं होती जिसकी उन्हें आवश्यकता होती है। 10 से 19 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों में कई मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियाँ हैं जिनसे हम चूक जाते हैं। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां किसी बच्चे को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है। डीपीएचएन सुश्री पुष्पा दास ने बच्चो में ऑख में होने वाले आई फ्लू जैसे बीमारी के रोकथाम एवं बचाव संबंधी बारे में विस्तार से बताया गया। इस अवसर पर जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ पुष्पेन्द्र राम, सुमित्रा बुनकर, मनोज बिसेन, शिक्षकगण तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।