छत्तीसगढ़

नेतनागर में 10 वर्ष पहले हो चुका है भू-अर्जन, अधिग्रहित भूमि पर ही विभाग करवा रहा नहरों का काम

मुआवजा भी जारी, चेक बांटने कैंप भी लगाए गए
नहरों का निर्माण शासकीय कार्य, बाधा पहुंचाने पर होता है कानूनी कार्यवाही का प्रावधान
रायगढ़, 29 मार्च 2023/ केलो परियोजना का कार्य 2009 से शुरू हुआ है। इसमें बांध के साथ नहरों के निर्माण के लिए वर्षों पहले भू-अर्जन किया जा चुका है। जिसके लिए किसानों को मुआवजा भी वितरित किया गया है। परियोजना में सभी प्रकार की नहरें मिलाकर कुल 313 कि.मी.की नहरें बनाई जानी है। जिसमें से 248 किमी की नहरें बन चुकी हैं। इसके लिए किसानों से भूमि अधिग्रहित करने तथा उनको मुआवजा वितरित करने के बाद ही विभाग द्वारा काम किया गया।
         इसी प्रकार पुसौर तहसील के ग्राम नेतनागर के बारे में जानकारी देते ईई केलो परियोजना श्री पी. आर.फूलेकर ने बताया कि नेतनागर में भी भू-अर्जन करीब 10 साल पहले 2013 में ही हो गया है। जिसका मुआवजा तैयार कर विभाग द्वारा जारी भी किया जा चुका है। इसे बांटने के लिए गांव में कई बार कैंप भी लगाया गया। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा जिस भूमि पर कार्य करवाया जा रहा है उसे वर्षों पहले अधिग्रहित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि नहरों का निर्माण शासकीय परियोजना के तहत किया जा रहा है जिसे पूरा करने के लिए दिसंबर 2023 की समय-सीमा तय की गयी है। उन्होंने कहा कि यह शासकीय कार्य है इसमें बाधा पहुंचाने पर कानूनी कार्यवाही का भी प्रावधान होता है।
           केलो वृहत परियोजना की शुरुआत 2009 में हुई थी। इसकी लागत 891 करोड़ रुपए है। इसमें केलो डैम के निर्माण के साथ ही मुख्य नहर, शाखा और वितरक नहरों का निर्माण शामिल है। परियोजना में नहरों का काम 80 फीसदी से अधिक पूरा हो चुका है। शेष कार्य को पूरा किया जा रहा है। जिससे परियोजना पूर्ण हो तथा नहरों के माध्यम से 175 गांवों तक सिंचाई के साथ पेयजल और निस्तारी के लिए पानी पहुंचाने की योजना क्रियान्वित हो सके।

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