“लम्पी स्किन डिसीज” रोग में बुखार के साथ पशुओं के पूरे शरीर पर छोटी-छोटी गुठलियाँ बन जाती है, जो बाद में घाव में बदल जाती है
पशुओ में लक्षण परिलक्षित होने पर तत्काल निकटतम पशु चिकित्सा संस्थाओं को सूचित करें
कवर्धा, अगस्त 2022। “लम्पी स्किन डिसीज” गौ-वंशीय तथा भैंस-वंशीय पशुओं में होने वाला एक विषाणु जनित संक्रामक रोग है, जो मच्छरों, मक्खियों तथा किलनियों के काटने से फैलता है। इस रोग में बुखार के साथ पशुओं के पूरे शरीर पर छोटी-छोटी गुठलियाँ बन जाती है, जो बाद में घाव में बदल जाती है। पशुचिकित्सा विभाग के उपसंचालक ने बताया कि इस रोग में गोल-गोल दाने त्वचा के अतिरिक्त मुंह, ग्रसनी, श्वसन तंत्र इत्यादि में भी पाए जा सकते हैं। रोग से संक्रमित पशुओं में बढ़े हुए लसिका गं्रथी, पैरों तथा पेट कें निचले हिस्से में पानी वाला सूजन, दूध उत्पादन में कमी, गर्भपात, बाँझपन जैसे लक्षण तथा कभी-कभी पशुओं की मृत्यु भी हो सकती है। इस प्रकार के लक्षण पशुओ में परिलक्षित होने पर तत्काल निकटतम पशु चिकित्सा संस्थाओं को सूचित करने कहा गया है।
कलेक्टर श्री जनमेजय महोबे ने गुजरात, राजस्थान, तथा महाराष्ट्र राज्यों में इस रोग के गौ-वंशीय तथा भैंस-वंशीय पशुओं में संक्रमण फैलने को दृष्टिगत रखते हुए, संक्रमित क्षेत्रों से जिले में पशुओं के परिवहन, आवागमन, छत्तीसगढ़ राज्य के अंतर्राज्यीय सीमा से लगे हुए क्षेत्रों के पशु बाजारों में पशुओं का क्रय-विक्रय, पशु मेला एवं प्रदर्शनी इत्यादि को तत्काल प्रभाव से आगामी आदेश तक प्रतिबंधित किया है।
उन्होनें बताया कि लक्षण दिखने पर रोगी पशुओं को स्वस्थ्य पशुओं से अलग करना, संक्रमित क्षेत्रों से पशु क्रय-विक्रय पर रोक, मच्छरों, मक्खियों तथा किलनियों का नियंत्रण, जैव सुरक्षा उपाय तथा टीकाकरण के माध्यम से रोग से बचाव संभव है। जन जागरूकता के लिए विभिन्न ग्रामों में कोटवारों के माध्यम से रोग के लक्षण, बचाव व नियंत्रण के संबंध में मुनादी कराई जा रही है।