छत्तीसगढ़

स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान अन्नपूर्णा पोषण दिवस पर महिलाओं को दिया गया जागरूकता संदेश


अम्बिकापुर, 27 सितम्बर 2025/sns/-  जिले में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उनके स्वास्थ्य एवं पोषण को मजबूत करने हेतु मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के निर्देशन में कलेक्टर श्री विलास भोस्कर के मार्गदर्शन में स्वास्थ्य विभाग द्वारा “स्वस्थ नारी–सशक्त परिवार” अभियान के तहत महिलाओं को न केवल स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही हैं, बल्कि उन्हें स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनने के लिए जागरूक भी किया जा रहा है।

अन्नपूर्णा पोषण दिवस का आयोजन

आज अन्नपूर्णा पोषण दिवस का आयोजन मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर के पोषण पुनर्वास केंद्र  (NRC) तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सीतापुर में किया गया। कार्यक्रम में विभिन्न आयु वर्ग की महिलाएं बड़ी संख्या में शामिल हुईं। उन्हें स्तनपान, टीकाकरण, जच्चा-बच्चा के पोषण आहार, आयरन और कैल्शियम दवाओं के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।

आत्मनिर्भरता की दिशा में स्वास्थ्य और पोषण
सीएमएचओ डॉ. पी. एस. मार्को कहा कि स्वस्थ महिला ही आत्मनिर्भर महिला बन सकती है। यदि महिलाओं को गर्भावस्था से लेकर प्रसव उपरांत तक उचित पोषण, स्वास्थ्य सुविधाएं और परामर्श मिले तो वे न केवल स्वयं को सशक्त बना सकती हैं बल्कि परिवार और समाज को भी मजबूत करती हैं।

महिलाओं को सलाह दी गई कि वे नियमित ANC जांच कराएं, संस्थागत प्रसव को प्राथमिकता दें और सभी प्रकार के टीकाकरण व दवाओं का सेवन समय पर करें। इससे मातृ मृत्यु दर और शिशु कुपोषण की समस्या को दूर किया जा सकता है।

पोषण और स्वच्छता की जागरूकता
इस अवसर पर सीएचसी सीतापुर के बीएमओ डॉ. पैंकरा ने महिलाओं को संतुलित आहार, कुपोषण के दुष्परिणाम और उससे बचाव के उपाय बताए। इस अवसर पर महिलाओं में सैनिटरी पैड का वितरण भी किया गया ताकि वे स्वच्छता और स्वास्थ्य को अपनाकर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा सकें।

कार्यक्रम में मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर में एनआरसी नोडल अधिकारी डॉ. संदीप गुप्ता ने पोषण पुनर्वास केंद्र की सुविधाओं की जानकारी दी और गंभीर कुपोषित बच्चों के उपचार की प्रक्रिया पर कार्यक्रम में शामिल महिलाओं को जागरूक किया।

छत्तीसगढ़ शासन की मंशा है कि हर महिला को स्वस्थ, शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाया जाए। शासन के निर्देशानुसार न केवल महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण पर कार्य हो रहा है बल्कि उन्हें कौशल, प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी ठोस पहल हो रही है।

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