छत्तीसगढ़

युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से हर बच्चे तक पहुँची शिक्षा की रोशनी दुर्गम क्षेत्रों कोर्मागोंदी, सुर्रेपाल, गोविंद पाल, धावडाभाटा और एंदेपारा में शिक्षकों की पदस्थापना

सुकमा, 11 सितम्बर 2025/sns/- शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और हर बच्चे तक शिक्षक की पहुँच सुनिश्चित करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन ने दूरदर्शी पहल की है। लंबे समय से राज्य के कई विद्यालयों में शिक्षकों का असमान वितरण बच्चों की पढ़ाई में बड़ी बाधा बन रहा था। कहीं स्कूल पूरी तरह शिक्षक विहीन थे तो कहीं केवल एक शिक्षक पर पूरे विद्यालय की जिम्मेदारी थी। ऐसे में बच्चों का शैक्षणिक विकास प्रभावित हो रहा था। स्कूल में शिक्षकों की समस्या को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर श्री देवेश कुमार ध्रुव के नेतृत्व में शिक्षक युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के तहत शिक्षकविहीन और एकलशिक्षकीय स्कूलों में पर्याप्त शिक्षकों की नियुक्ति की गई।
विकासखंड शिक्षा अधिकारी श्री कमलेश श्रीवास्तव ने बताया कि छिंदगढ़ विकासखंड में शिक्षा को सशक्त और सुलभ बनाने के लिए शासन ने एक दूरदर्शी पहल करते हुए शिक्षक युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया लागू की है। इसके अंतर्गत उन विद्यालयों में जहाँ लंबे समय से शिक्षक नहीं थे, वहाँ तत्काल शिक्षकों की नियुक्ति कर बच्चों की पढ़ाई का रास्ता खोला गया, जबकि जिन स्कूलों में केवल एक शिक्षक था, वहाँ कम से कम दो शिक्षकों की नियुक्ति कर पढ़ाई को व्यवस्थित किया गया। बच्चों की संख्या के आधार पर अधिक शिक्षक नियुक्त कर शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा दिया गया। इसी क्रम में छिंदगढ़ विकासखंड की पाँच शिक्षक विहीन प्राथमिक शालाओं कोर्मागोंदी, सुर्रेपाल, गोविंदपाल, धावडाभाटा और ज्ञान ज्योति एंदेपारा में शिक्षकों की नियुक्ति की गई, साथ ही हाई स्कूल गम्मा और हाई स्कूल गंजेनार में भी आवश्यकतानुसार शिक्षक पदस्थ किए गए। विशेष रूप से पूर्व माध्यमिक शाला नेतानार, जो पहले एकल शिक्षकीय थी, वहाँ तीन शिक्षकों की नियुक्ति कर बच्चों को बेहतर शैक्षणिक सुविधा उपलब्ध कराई गई। यह पहल शिक्षा के क्षेत्र में एक नई उम्मीद और बदलाव लेकर आई है।
कलेक्टर श्री देवेश कुमार ध्रुव ने बताया कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है और युक्तियुक्तकरण से हम बच्चों को बेहतर भविष्य देने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। सुकमा जिले में युक्तिकरण के तहत सभी स्कूलों में शिक्षकों को पर्याप्त पदस्थापना की गई है।  ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों के बच्चों को भी समान शैक्षणिक अवसर मिल रहे हैं। इससे समाज में शिक्षा को लेकर सकारात्मक सोच विकसित हो रही है। शासन की यह पहल न केवल शिक्षकों का संतुलित उपयोग सुनिश्चित कर रही है, बल्कि राज्य के हर बच्चे तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुँचाने का मार्ग भी प्रशस्त कर रही है।

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