छत्तीसगढ़

शालाओं के युक्ति युक्तकरण से शिक्षा की गुणवत्ता सुधार की दिशा में एक प्रभावशाली कदम

अम्बिकापुर, 31 मई 2025/sns/-  छत्तीसगढ़ शासन शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और दूरगामी प्रभाव डालने वाली पहल पर कार्य कर रहा है। राज्य सरकार ने स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को सुदृढ़ करने, संसाधनों का समुचित उपयोग सुनिश्चित करने और शिक्षकों की उपलब्धता को संतुलित करने के उद्देश्य से शालाओं एवं शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की व्यापक प्रक्रिया प्रारंभ की है। यह प्रक्रिया राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों के अनुरूप की जा रही है।

शिक्षा क्षेत्र में समग्र सुधार की मंशा
जिला शिक्षा अधिकारी श्री अशोक कुमार सिन्हा ने बताया कि शासन के गाइडलाइन के अनुसार एक ही परिसर में स्थित प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक स्कूलों का समायोजन किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि जिले में 213 विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में एक किलोमीटर के दायरे में स्थित स्कूलों और शहरी क्षेत्रों में 500 मीटर के भीतर स्थित विद्यालयों को चिन्हित कर उनका समायोजन किया जाएगा। इसका उद्देश्य प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के साथ-साथ छात्रों की शिक्षा की गुणवत्ता में निरंतरता को सुनिश्चित करना है।

 स्कूलों के युक्तियुक्तकरण से होंगे महत्वपूर्ण लाभ
जिला शिक्षा अधिकारी श्री सिन्हा ने बताया कि इस योजना के तहत किए गए स्कूल समायोजन और अतिशेष शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण से शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता में सुधार होगा।

शिक्षक विहीन स्कूलों में सुधार
छत्तीसगढ़ के अनेक प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय ऐसे हैं, जहाँ केवल एक शिक्षक पदस्थ हैं या शिक्षक ही नहीं हैं। युक्तियुक्तकरण से ऐसे स्कूलों में अब अतिशेष शिक्षकों की तैनाती संभव होगी।

साझा संसाधनों का बेहतर उपयोग

विद्यालय परिसरों में पुस्तकालय, कंप्यूटर लैब, विज्ञान प्रयोगशाला और खेल सामग्री जैसी सुविधाएं अब साझा की जा सकेंगी, जिससे छात्रों को समृद्ध शैक्षणिक वातावरण मिलेगा।

प्रशासनिक संरचना में सुधार
अब हायर सेकेंडरी स्तर के प्राचार्य के अधीन अन्य स्तरों के प्रधानपाठक कार्य करेंगे, जिससे शैक्षणिक और प्रशासनिक संचालन में एकरूपता और समन्वय सुनिश्चित होगा।

आर्थिक संसाधनों की बचत
अलग-अलग विद्यालयों की तुलना में एकीकृत स्कूल परिसरों के माध्यम से स्थापना व्यय में कमी आएगी।

ड्रॉपआउट दर में कमी
विद्यालयों की आपसी दूरी कम होने और शिक्षा की निरंतरता बनी रहने से छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ने की प्रवृत्ति में गिरावट आएगी।

बार-बार प्रवेश लेने की आवश्यकता समाप्त
एक ही परिसर में विभिन्न कक्षाओं का संचालन होने से छात्रों को कक्षा बदलने पर विद्यालय बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

बेहतर अधोसंरचना का निर्माण
जब एक ही परिसर में अधिक संख्या में विद्यार्थी और शिक्षक होंगे, तो वहां बेहतर भवन, स्मार्ट क्लासरूम, स्वच्छ शौचालय, पेयजल, डिजिटल सुविधाओं जैसे अधोसंरचना विकास की संभावना भी अधिक होगी।

शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव
श्री सिन्हा ने कहा कि यह पहल केवल स्कूलों के समायोजन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य संपूर्ण स्कूली शिक्षा तंत्र को दक्ष, समावेशी और गुणवत्तापूर्ण बनाना है। उन्होंने कहा कि यह कदम विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के लिए फायदेमंद साबित होगा, जहां संसाधनों की कमी और शिक्षक अनुपलब्धता एक बड़ी चुनौती रही है।
 राज्य सरकार की यह पहल शिक्षा के क्षेत्र में नीतिगत सुधार, समावेशी विकास और भविष्य की आवश्यकता के अनुरूप बदलाव की दिशा में एक दूरदर्शी कदम है। शिक्षा विभाग द्वारा किए जा रहे इन प्रयासों से निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता में नया अध्याय जुड़ेगा।

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