छत्तीसगढ़

प्राचीन भारतीय परंपरा अनुसार गोमय कंडे से हुआ वैदिक होलिका दहन

  • भारतीय परंपरा, पर्यावरण एवं गौमाता के प्रति किया गया जागरूक
    राजनांदगांव। वृक्षों को कटने से रोकने एवं भारतीय परंपरागत के अनुरूप राजनांदगांव शहर के बंगाली चाल बसंतपुर शिव मंदिर के पास वैदिक होलिका दहन का आयोजन किया गया। गौ संस्कृति अनुंसधान संस्थान राजनांदगांव द्वारा आयोजित एवं आदिशक्ति महिला स्वसहायता समूह के सहयोग से वृक्षों को कटने से रोकने एवं गौमाता के संरक्षण व संवर्धन के लिए लगभग 2 हजार गोमय कंडे एवं गाय का शुद्ध देशी घी, हवन सामग्री से वैदिक होलिका दहन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में 100 से अधिक देशी गौवंश के गोबर से निर्मित दीपक जलाएं गए। गौ संस्कृति अनुंसधान संस्थान राजनांदगांव के अध्यक्ष श्री राधेश्याम गुप्ता ने बताया कि संस्थान द्वारा प्रतिवर्ष गौमाता एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता के लिए वैदिक होलिका दहन का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें नागरिकों का भरपूर सहयोग रहता है। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति में होलिका दहन की प्राचीन परंपरा रही है, लेकिन होलिका दहन में अज्ञानतावश वृक्ष, टायर, कपड़े, मिट्टी तेल का उपयोग किया जा रहा है, जो अनुचित है। साथ ही वर्तमान समय में प्रकृति के साथ हो रहे अनावश्यक छेड़छाड़ से जीव जगत एवं पर्यावरण में प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। गोमय कंडे से वैदिक होलिका दहन से गौमाता और वृक्षों का संरक्षण किया जा सकता है।
    वार्ड पार्षद श्रीमती खेमिन राजेश यादव ने कहा कि यह गर्व का विषय है कि वार्ड में प्राचीन भारतीय परम्पराओं के अनुसार होलिका दहन का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में किसी भी त्यौहार को मनाने के पीछे परंपरा रहती है। होली भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रमुख त्यौहार है। उन्होंने सभी नागरिकों से होलिका दहन के लिए लकड़ी की जगह गोमय कंडे का उपयोग करने की अपील की। गौ संस्कृति अनुंसधान संस्थान राजनांदगांव के कोषाध्यक्ष गव्यसिद्ध डॉ. डिलेश्वर साहू ने बताया कि वैदिक होलिका दहन के आयोजन से समाज में एक सुखद संदेश जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम सभी को अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए सात्विक वातावरणयुक्त प्राकृतिक धरोहर का संरक्षण के हर स्तर पर आगे आना ही होगा। वैदिक होलिका दहन का मुख्य उद्देश्य भारतीय परंपरा, पर्यावरण एवं गौमाता के प्रति नागरिकों को जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि प्रकृति को सहेजने और संरक्षित रखने से पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकती है। इस अवसर पर गौ संस्कृति अनुंसधान संस्थान राजनांदगांव एवं आदिशक्ति महिला स्वसहायता समूह के सदस्य तथा बड़ी संख्या में मोहल्लेवासी उपस्थित थे।

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