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3413 कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने के लिए किया गया लक्षित

कुपोषण मुक्ति के लिए पोट्ठ लईका अभियान के तहत पालक चौपाल का आयोजन

  • कुपोषित बच्चों के पालकों को पौष्टिक आहार, टीकाकरण, नियमित स्वास्थ्य जांच की दी जा रही जानकारी
    राजनांदगांव 15 जून 2024। जिला प्रशासन द्वारा जिले को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए पोट्ठ लईका अभियान के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों में प्रत्येक शुक्रवार को पालक चौपाल का आयोजन किया जा रहा है। कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल ने बच्चों के सुपोषण के लिए पौष्टिक आहार देने एवं उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए सुझाव हेतु पालक चौपाल आयोजित करने के निर्देश दिए थे। इसी तारतम्य में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सुश्री सुरूचि सिंह के मार्गदर्शन में यूनिसेफ तथा एबीस इंडिया के समन्वय से राजनांदगांव, छुरिया और डोंगरगांव के महिला एवं बाल विकास के परियोजना अधिकारी, पर्यवेक्षकों तथा स्वास्थ्य विभाग के बीएमओ एवं एनआरएलएम के मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के बाद मास्टर ट्रेनर्स द्वारा मैदानी स्तर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन, एएनएम, बिहान समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण के बाद राजनांदगांव, डोंगरगांव एवं छुरिया विकासखंड के कुल 241 आंगनबाड़ी केन्द्रों के 3413 कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने के लिए लक्षित किया गया है।
    जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास श्रीमती गुरप्रीत कौर ने बताया कि पोट्ठ लईका अभियान के तहत बच्चों को कुपोषण मुक्त करने के लिए परिवार में स्वास्थ्य एवं पोषण के प्रति जागरूकता के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों में प्रत्येक शुक्रवार को पालक चौपाल का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें कुपोषित बच्चों के पालकों को विशेष रूप से माताओं को बच्चों के पोषण हेतु आवश्यक जानकारी, तिरंगा भोजन, टीकाकरण, नियमित स्वास्थ्य जांच, समय पर अतिरिक्त आहार की जानकारी दी जा रही है। जो बच्चे सुपोषण की श्रेणी में है, उनकी माताओं को सम्मानित किया जा रहा है तथा उनके माध्यम से कुपोषित बच्चों की माताओं को प्रेरित किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि चौपाल में किशोरी बालिकाओं तथा नवविवाहित महिलाओं को भी आमंत्रित कर उन्हें स्वास्थ्य एवं पोषण के प्रति जागरूक किया जा रहा है। साथ ही प्रत्येक बुधवार को सुघ्घर बुधवार के तहत कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण तथा महिलाओं तथा किशोरी बालिकाओं का हिमोग्लोबिन परीक्षण किया जा रहा है। जिससे बेहतर स्वास्थ्य सुविधा एवं पोषण के माध्यम से 6 माह में लक्षित कुपोषित बच्चों को सुपोषित किया जा सके।

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