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गणेश मंदिर अनुपम नगर में चल रही शिवपुराण की कथा को विस्तार देते हुए ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज के प्रिय शिष्य डॉ.इन्दुभवानन्द महाराज ने बताया कि सद्गुरु के आश्रय से शिव तत्व की प्राप्ति होती है उन्होंने कथा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए चंचुला की कथा के माध्यम से उक्त बातें कहीं। चंचुला ने ब्राह्मण देवता का आश्रय लेकर के महा क्षेत्र गोकर्ण में शिव पुराण की परम पवित्र कथा सुनी, कथा के सुनने से उसके हृदय में भक्ति ज्ञान और वैराग की वृद्धि हो गई तथा सहज में ही उसके पापों का प्रायश्चित हो गया भक्ति ज्ञान वैराग्य से युक्त हुई चंचल ने बिना प्रयास के ही अपना शरीर छोड़ दिया और भगवान शंकर के गण उसको शिव लोक ले गए, माता पार्वती की सेवा के स्वरूप चंचल ने अपने पति को भी शिव कथा श्रवण कराके प्रेतत्व से मुक्ति प्राप्त करा दी भगवान शंकर की दिव्य अमृतमयी कथा जो व्यक्ति श्रवण करता है वह समस्त पापों से मुक्त होकर ज्ञान प्राप्त कर लेता है और अंत में उसको मुक्ति प्राप्त हो जाती है मुक्ति का दान करने वाले केवल भगवान शंकर ही है, क्योंकि बिना ज्ञान के मुक्ति प्राणी को प्राप्त नहीं होती है और ज्ञान केवल भगवान शिव से ही प्राप्त होता है ज्ञान प्राप्ति के लिए ही शिव की उपासना की जाती है।