छत्तीसगढ़

मक्के के फसलों को कीट के रोकथाम के लिए किया प्रबंधन

-फसलों को कीट एवम् बीमारियों से बचाने बुआई से पूर्व करें बीजों को उपचारित सुकमा, 19 जनवरी 2024/ खरीफ फसलों के बाद अब कृषक रबि फसलों की तैयारी कर रहें है। वहीं कुछ कृषक अपने खेतों में मक्के की बुआई कर चुके हैं। खराब मौसम के कारण मक्के के फसलों में लगे फॉल आर्मी वर्म की चिंता किसानों को सताने लगी है। फसलों में लगे इस बीमारी से निजात पाने के लिए कृषि मित्रों ने इसकी सूचना कृषि विशेषज्ञों को दी। कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ पौध रोग विज्ञान के विशेषज्ञ श्री राजेन्द्र प्रसाद कश्यप, कीट रोग विशेषज्ञ डॉ. योगेश कुमार सिदार ने 18 जनवरी को ग्राम पूजारीपाल का मैदानी भ्रमण किया।
विशेषज्ञों ने किसानों को क्षतिग्रस्त फसलों में कीट के लक्षण की पहचान बताते हुए कहा कि फॉल आर्मी मुख्य रूप से अमेरिका में मक्का व अन्य फसलों पर पाया जाने वाला कीट है, जिसका वैज्ञानिक नाम स्पोडोप्टेरा फ्रुजी परेडा है, जो कि लेपिडोप्टेरा गण में नोट्यूटी परिवार का कीट है। उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र के प्रक्षेत्र के करीब 10 एकड़ भूमि पर मक्के की ली गई है और वहां पर भी इस कीट का प्रकोप देखा गया है। मक्के में 25-30 दिन की अवस्था इस कीट का आक्रमण दिखाई देती है। वहीं 30-45 दिन की अवस्था मे इस कीट का अधिक प्रकोप दिखाई पड़ती है। इसकी छः अवस्थाएं होती है। इसके सूंडी के सिर पर वाय आकार का सफेद चिन्ह एवं शरीर पर काले धब्बे होते हैं। ऊपर के 8वे खंड पर चार काले रंग के धब्बे वर्ग के रूप में होते हैं।
विशेषज्ञों ने इस प्रकोप का प्रबंधन किसानों को बताते हुए कहा कि गोभ में छुपे सूंडी के प्रबंधन के लिए 9 अनुपात 1 में रेत और चुना का मिश्रण पौधे के गोभ में छिड़काव करें। साथ ही बीजों को कीटनाशक से उपचारित करने के बाद बुआई करें, इसके लिए रेत और चुना का मिश्रण तैयार करें। वहीं मक्का की बाली आने की अवस्था में रासायनिक कीटनाशकों को बदल-बदल कर छिड़काव करने से विभिन्न प्रकार की कीट प्रकोप का नियंत्रण किया जा सकता है। इस दौरान ज्योतिष कुमार पोटला सहित किसान मित्र और कृषकगण उपस्थित थे।

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