अम्बिकापुर, नवंबर 2022/ राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के तत्वावधान में 31 अक्टूबर 2022 से 13 नवम्बर 2022 तक चलाये जा रहे अभियान के तहत कानूनी जागरूकता और आउटरीच के माध्यम से नागरिकों का सशक्तिकरण के संबंध में छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर से प्राप्त निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सरगुजा के अध्यक्ष श्री आर.बी. घोरे के मार्गदर्शन में 06 नवम्बर 2022 को विशेष न्यायाधीश श्री डी.एन. भगत एवं प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती नीलिमा बघेल की अध्यक्षता में शासकीय हाई स्कूल मेण्ड्राकला विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
विशेष न्यायाधीश अम्बिकापुर श्री डी.एन. भगत ने बताया कि अपने जीवन में अमल में लाये, उसका प्रचार-प्रसार करें आस पास लोगों तथा अपने बच्चों को बताये जिससे किसी से, किसी प्रकार की भूल ना हो। हमारे संविधान में लिखा है कि भारत के प्रत्येक नागरिकों को विधि का ज्ञान होना चाहिए। आप ये नहीं कह सकते हैं कि मुझे विधि का ज्ञान नहीं है। विधि की सामान्य जानकारी प्रदान किये जाने हेतु विधिक साक्षरता शिविरों का आयोजन किया जाता है। आप ऐसे शिविरों में अधिक से अधिक संख्या में और विधि की जानकारी प्राप्त करें।
शिविर में न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय श्रेणी सुश्री जेनिफर लकड़ा द्वारा उपस्थित लोगों को मोटर दुर्घटना दावा अधिनियम के संबंध में, न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय श्रेणी अम्बिकापुर सुश्री रश्मि मिश्रा द्वारा दहेज निषेध अधिनियम, घरेलू हिंसा के संबंध में, न्यायिक मजिस्ट्रेट अम्बिकापुर श्री नरेन्द्र कुमार द्वारा निःशुल्क विधिक सहायता एवं प्राधिकरण की अन्य योजनाओं के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान किया गया। इसी प्रकार पंचम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री ओ.पी. जायसवाल द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को आपराधिक कार्यवाहियों की जानकारी प्रदान करते हुए प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफ.आई.आर) के बारे में भी जानकारी दिए। उन्होंने बताया कि एफ.आई.आर. दर्ज करने में प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि एफ.आई.आर. किस को दर्ज करानी चाहिए. सामान्य उपधारणा यह है कि जिसके साथ अपराध हुआ है वही जाकर थाने में एफ.आई.आर. दर्ज कराये लेकिन नहीं उनके अलावा उसके हितबद्ध जानकार व्यक्ति है जैसे किसी के साथ कोई घटना हो गया, और वह अस्पताल चला गया ऐसी स्थिति में उसके जो रिश्तेदार है या नजदीकी जानकार है वो लोग भी थाने में जाकर घटना की सूचना दे सकते है. एफ. आई. आर. की एक कॉपी सूचना दर्ज कराने वाले को थाने द्वारा प्रदान की जाती है। आगे घटना के नजरी नक्शा, जप्ती, मैमोरण्डम के संबंध में विस्तार से जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि उपरोक्त सभी कार्यवाहियों में नागरिक को जागरूक रहते हुए अपने हस्ताक्षर या अगूंठे निशान लगना चाहिए।
अपर सत्र न्यायाधीश, (पाक्सो) अम्बिकापुर श्रीमती पूजा जायसवाल द्वारा महिलाओं एवं बच्चों के अधिकारी के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान किया गया। तत्पश्चात् चेयरमेन स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएं) अम्बिकापुर श्रीमती उर्मिला गुप्ता ने विद्युत, प्रकाश या जल प्रदाय, सार्वजनिक मलवाहन या स्वच्छ प्रणाली, अस्पताल या औषधालय, बीमा सेवा, डाकतार या टेलीफोन सेवा वायु सड़क या जलमार्ग द्वारा यात्रीयों या माल के वाहन के लिए यातायात सेवा, शैक्षिक या शैक्षणिक संस्थानों, आवास या भू-सम्पदा सेवा से संबंध में आने वाले सेवाओं से कमी से संबंधित मामले स्थायी लोक अदालत में पेश किये जा सकते है। साथ ही उक्त स्थायी लोक अदालत प्रस्तुत किये जाने वाले आवेदन का प्रारूप की प्रति का वितरण भी किया गया।
प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अम्बिकापुर के श्रीमती नीलिमा बघेल द्वारा “कानूनी जागरूकता और आउटरीच के माध्यम से नागरिकों का सशक्तिकरण एवं “हक हमारा भी तो है “ के संबंध में बताया गया। उन्होंने बताया कि आपके साथ कोई घटना हुई है तो आप कहा जाये, थाने में जाये बताए, नहीं सुन रहे हैं तो आगे उच्च अधिकारियों को बताएं, वे भी नहीं सुन रहे हैं तो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जाकर विधिक सलाह एवं सहायता प्राप्त कर सकते है, आगे अभिभाषण में महिलाओं और बच्चों से संबंधित कानून की जानकारी देते हुए आम जनों को कहा कि “हम कुछ नहीं जानते “ कहकर बच नहीं सकते। आपके विरूद्ध अपराध हो यह जरूरी नहीं, आपसे भी अपराध हो सकता है। जरूरी नहीं आपके साथ अपराध हो तभी आप थानें जाये, यदि आपसे कुछ ऐसा हो गया हो और किसी अन्य ने जाकर थाने में अपराध दर्ज करा दी, तो आप यह कह कर नही बच सकते कि हमको नहीं पता था, कि ऐसा कानून है तो यह बचाओं नहीं है। अपने घर से कानूनी शिक्षा शुरू करे, अपने बच्चों को बताओ कि कोई अगर आप से ज्यादा बात कर रहा हो, ज्यादा नजदीक आ रहा हो, क्या पूछ रहा है, कहा छू रहा है, इसके संबंध में अपने बच्चों से रोज बात करें अगर आपको लगे कि आपके बच्चे के साथ कुछ गलत हो रहा है, या कुछ गलत हो सकता है तो तत्काल उनके स्कूल शिक्षक, प्राचार्य को बताये, नही सुन रहे है तो थाने में जाकर बताये, सामान्य छेड़छाड़ से लेकर बलत्कार तक कानून बने हुये है। धाराएं गंभीर है, सजाये गंभीर है, 10 साल, 20 साल, आजीवन कारावास तक है ना हमारे साथ अपराध हो ना ही हम कोई अपराध कर सके इसके संबंध में हमे कानून की जानकारी होना बहुत जरूरी है।
शिविर में न्यायधीश, अधिवक्ता श्री शिवपूजन प्रजापति, श्री नित्यानंद दास, श्री प्रियतम साहू, सांसद प्रतिनिधि श्री राजवाड़े, गांव के सरपंच श्री देवनंदन तिर्की, पी.एल.व्ही एवं अधिक संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।
