छत्तीसगढ़

दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय दुर्ग में कृत्रिम गर्भाधान पर प्रशिक्षण का समापन

दुर्ग, सितम्बर 2022/ दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग के अंतर्गत पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, अंजोरा, दुर्ग में 30 दिवसीय आवासीय सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण का प्रथम चरण 14 सितंबर 2022 को सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.( कर्नल ) एन.पी.दक्षिणकर, कुलसचिव डॉ.आर.के. सोनवाने, निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ.संजय शाक्य, नोडल अधिकारी (मैत्री प्रशिक्षण) डॉ. एम.के.अवस्थी, भूतपूर्व निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ.आर.पी.तिवारी, उपकुलसचिव डॉ.मनोज गेंदले, कार्यक्रम समन्वयक डॉ.व्ही.एन.खुणे, विश्वविद्यालय जनसंपर्क अधिकारी डॉ.दिलीप चौधरी तथा बालोद, मुंगेली,राजनांदगांव जिले के 29 प्रशिक्षणार्थी उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.एन.पी.दक्षिणकर ने संबोधित करते हुए कहा कि पशुओं में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में भारत प्रथम स्थान पर है। छत्तीसगढ़ में सिर्फ 3% संकर नस्ल पशु पैदा कर पा रहे हैं क्योंकि उतने कुशल स्टाफ नहीं है। यही प्रशिक्षण का उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा मैत्री कार्यकर्ता तैयार करना जिससे कृत्रिम गर्भाधान में बढ़ोतरी कर दुग्ध उत्पादन को बढ़ाया जा सके। उन्होंने सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रायोगिक एवं सिद्धांत कार्य जैसे वीर्य परीक्षण, वीर्य की गतिशीलता का परीक्षण, पशुओं में दुग्ध उत्पादन क्षमता, उनमें होने वाली बीमारियां तथा उसके उपचार आदि के तकनीकी ज्ञान बढ़ाने पर जोर दीया एवं यह प्रशिक्षण स्वरोजगार का एक माध्यम बन सकता है तथा उनके परिवार के पालन पोषण में सहायक सिद्ध होगा। निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ.संजय शाक्य ने अपना अनुभव साझा करते हुए प्रशिक्षणार्थियों के नियमितता, समय प्रबंधन एवं लगन की तारीफ करते हुए भविष्य में भी इसी लगन से कार्य करने का आह्वान किया। कुलसचिव डॉ.आर.के. सोनवाने ने उन्हें बताया कि अनुशासन बहुत ही जरूरी है एवं फील्ड में सरपंच, पशु सखी से संपर्क करते हुए गांव के डेटाबेस की पूरी जानकारी रखने का आग्रह किया तथा इस अवसर पर उन्होंने बताया कि ग्रामीण विकास में पशुधन की महत्वपूर्ण भूमिका है । डॉ. मनोज अवस्थी ने बताया कि भारत सरकार की राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना अंतर्गत मैत्री/प्राइवेट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला बालोद, मुंगेली, राजनांदगांव के सुदूर अंचल से चयनित 29 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि आज भी 70% पशुधन में कृत्रिम गर्भाधान नहीं हो पा रहा है उत्कृष्ट श्रेणी बछिया एवं नस्ल सुधार हेतु कृत्रिम गर्भाधान आवश्यक है। साथ ही देसी सांडों का बधियाकरण भी आवश्यक है। अंत में प्रशिक्षणार्थियों के द्वारा 1 माह के दौरान अर्जित प्रशिक्षण का अनुभव साझा किया गया एवं द्वितीय चरण के अंतर्गत 60 दिवसीय मैदानी प्रायोगिक प्रशिक्षण हेतु संबंधित जिले के उप संचालक, पशुचिकित्सा सेवाऐं को मुक्त किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ.निशा शर्मा एवं आभार डॉ. अमित गुप्ता के द्वारा किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *