छत्तीसगढ़

इनरिचमेन्ट वर्मीकम्पोस्ट विषय पर प्रशिक्षण

कवर्धा, अगस्त 2022। कृषि विज्ञान केन्द्र, कवर्धा द्वारा रासायनिक उर्वरकों की सीमित आपूर्ति की स्थिति में फसलवार समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन के अंतर्गत वर्मीकम्पोस्ट की विभिन्न बॉयोफर्टिलाईजर द्वारा गुणवत्ता बढ़ाने के लिए गौठान समिति के सदस्यो, महिलाओं एवं कृषकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है एवं निःशुल्क जैव उर्वरक भी खेतों में उपयोग के लिए प्रदाय किया जा रहा है। ग्राम छाटा झा एवं कोसमंदा में किसानों को ट्राइकोडर्मा, एजास्पाइरिलम, एजोटेबैक्टर, जेड एस.बी. जैसे जैव उर्वरकों के उपचार एवं उपयोग करने के तरीकों के विषय में सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण प्रदाय किया गया। राइजोबियम जीवाणु के द्वारा दलहनी फसलों में वायु में नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कर मुद्रा में लगभग 50 किलोग्राम/हेक्टेयर नाइट्रोजन उपलब्ध कराया जा सकता है। इसी प्रकार धान में अन्य फसलों में एजोस्थाइरीलम एवं एजेटोबैक्टर जीवाणु द्वारा लगभग 25 किलोग्राम हेक्टेयर नाइट्रोजन मृदा को उपलब्ध कराया जाता है। पी.एस.बी. जैव उर्वरक के प्रयोग से मृदा में स्थिरीकृत फॉस्फोरस को उपलब्ध अवस्था में रूपांतरित करता है। जिससे मृदा में 13 से 20 किलोग्राम/प्रतिहेक्टेयर फॉस्फोरस उपलब्ध होता है। प्रशिक्षण के दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी.पी. त्रिपाठी, डॉ. राजेश्वरी साहू, विषय वस्तु विशेषज्ञ (उद्यानिकी) इंजी. टी.एस. सोनवानी, विषय वस्तु विशेषज्ञ ( कृषि अभियांत्रिकी ) एवं बड़ी संख्या में कृषक एवं स्वसहायता समूह के सदस्य उपस्थित थे

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