छत्तीसगढ़

भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करेंगी समूह की दीदियां, बना रही हैं राखियां

— कमल के फूल के डंठल के अलावा केला, भाजियों के रेशे के साथ धान, चावल, रूद्राक्ष, रंगीन मोती, स्टोन, ऊन से बना रही हैं राखियां
जांजगीर-चांपा। भाई-बहन के रिश्ते का त्यौहार है रक्षाबंधन जो 11 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधेगी और पवित्र रिश्ते को मजबूत बनाएगी। इस बंधन को मजबूत बनाने के लिए स्व सहायता समूह की महिलाएं कड़ी मेहनत से गांव-गांव में राखियां तैयार कर रही हैं। यह राखियां धान, चावल, रूद्राक्ष, रंगीन मोती, स्टोन, ऊन से बनाई जा रही है तो कुछ समूह की महिलाएं यह कमल के फूल के डंठल, केले के तने के रेशे, अलसी, भिंडी व भाजियों के रेशे से राखियां तैयार की जा रही है।
जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. फरिहा आलम ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन(एनआरएलएम) बिहान से जुड़ी स्व सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा राखियां तैयार की जा रही है। स्व सहायता समूह की महिलाओं को लगातार उनके कार्यों के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, प्रशिक्षण दिया जा रहा है और उन्हें जिला एवं जनपद पंचायत स्तर पर स्टाल लगाने दिए जा रहे हैं। समूह की महिलाओं द्वारा पिछले एक माह से लगातार राखियां तैयार की जा रही हैं।
रेशे के साथ ही धान, चावल, मोती, रंगीन धागे का उपयोग
जनपद पंचायत बलौदा के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत जाटा के आश्रित ग्राम बहेराडीह में बिहान समूह से जुड़ी महिलाओं के द्वारा कमल के फूल के डंठल के रेशे से राखियां तैयार की जा रही है। गंगे मैया समूह की अध्यक्ष श्रीमती लक्ष्मीन यादव, सचिव पुष्पा यादव ने बताया कि समूह द्वारा कमल के डंठल के अलावा केले के तने के रेशे, अलसी, भिंडी व भाजियों के रेशे से राखियां तैयार की जा रही है। इसके अलावा जनपद पंचायत बम्हनीडीह के मॉ शारदा स्व सहायता समूह परसापाली (रि) के द्वारा रक्षाबंधन त्यौहार को देखते हुए विभिन्न प्रकार की राखियां तैयार कर रही हैं। अलग-अलग ग्राम पंचायत में समूह की महिलाओं द्वारा घरों में रेशम के धागेे, छोटे-बड़े मोती, चावल के दाने, अलग-अलग रंगीन कपड़े, छोटे-छोटे रूद्राक्ष, रंगीन पत्थर आदि को मार्केट से खरीदकर घर में उसे तैयार कर बाजार में बेच रही हैं, इससे उन्हें मुनाफा मिल रहा है।

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