मोहला, 7 जुलाई 2025/sns/- जिले में कलेक्टर श्रीमती तुलिका प्रजापति के निर्देश एवं मार्गदर्शन में धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के अंतर्गत एक प्रेरणादायक और बहुआयामी आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस अभियान के अंतर्गत जिले में संचालित आश्रम एवं छात्रावासों में गत दिवस खेलकूद प्रतियोगिताओं तथा जनजातीय जननायकों की गौरवगाथा पर आधारित संगोष्ठियों का आयोजन किया गया। जिसने विद्यार्थियों और समुदाय दोनों को नई ऊर्जा गर्व और जागरूकता से भर दिया।
इस अभियान के तहत कबड्डी, खो-खो, कैरम, दौड़, लंबी कूद जैसे पारंपरिक एवं आधुनिक खेलों का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न आयु वर्ग के छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। छात्रों ने न सिर्फ शारीरिक कौशल का प्रदर्शन किया, बल्कि खेल भावना, अनुशासन और टीम वर्क की मिसाल भी प्रस्तुत की। छात्रावासों और आश्रमों में रह रहे जनजातीय विद्यार्थियों के लिए यह अवसर उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला और सामाजिक सहभागिता को प्रोत्साहित करने वाला सिद्ध हुआ। साथ ही, धरती आबा जनभागीदारी अभियान के तहत जिले में संचालित छात्रावासों और आश्रमों में जनजातीय जननायकों की गौरवगाथा पर आधारित भाषण प्रतियोगिताएं और संगोष्ठियाँ आयोजित की गईं। इन आयोजनों में विद्यार्थियों ने वीर शहीद बिरसा मुंडा, टंट्या भील, रानी दुर्गावती जैसे ऐतिहासिक जननायकों के त्याग, बलिदान और योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य न केवल छात्रों को उनके गौरवशाली अतीत से जोड़ना था। बल्कि उनमें सामाजिक चेतना, आत्मगौरव और नेतृत्व के गुणों का भी विकास करना था।
कार्यक्रमों के दौरान छात्रों और शिक्षकों ने मिलकर यह संदेश दिया कि शिक्षा के साथ-साथ सांस्कृतिक विरासत और शारीरिक विकास भी अत्यंत आवश्यक हैं। इन आयोजनों ने जनजातीय समाज के भीतर आत्मविश्वास और जागरूकता की नई लहर उत्पन्न की है। कलेक्टर श्रीमती तुलिका प्रजापति ने इन प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि धरती आबा अभियान के माध्यम से जनजातीय विद्यार्थियों को शिक्षा, खेल और सांस्कृतिक मंच प्रदान कर उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जा रहा है। उनका यह भी मानना है कि ऐसे कार्यक्रम न केवल विद्यार्थियों को सशक्त बनाते हैं, बल्कि पूरे समाज को एकजुट कर सामाजिक समरसता को भी बढ़ावा देते हैं।
इस अभियान की सफलता ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब प्रशासन, शिक्षक और छात्र एकजुट होकर कार्य करते हैं, तो बदलाव की दिशा में सकारात्मक कदम सुनिश्चित होते हैं। जनजातीय क्षेत्रों में इस प्रकार के आयोजन भविष्य में भी जारी रहेंगे। जिससे न केवल शिक्षा बल्कि जनजातीय संस्कृति और प्रतिभा को भी एक नया आयाम मिलेगा।