जल जीवन मिशन के तहत प्रत्येक घर में पहुंच रहा है शुद्ध पेयजल
बीजापुर अक्टूबर 2024/sns/ ग्राम धारावरम, ग्राम पंचायत नुकनपाल विकासखण्ड उसूर जिला मुख्यालय से लगभग 30 कि.मी. दूरी पर स्थित है। ग्राम में 52 परिवार निवासरत है। इस ग्राम में 15 हैण्डपंप की स्थापित है, यहीं से ही ग्रामवासियों को शुद्ध पेयजल प्रदाय होता रहा है।
ग्राम धारावरम में ग्राम सभा के दौरान जल जीवन मिशन योजना आने के बाद ग्रामवासियों अत्याधिक उत्साहित है। सरपंच श्री मुन्ना कुडसम द्वारा बताया गया कि अब हर घर नल लग जाने के बाद घरों में ही स्वच्छ जल प्राप्त हो रहा है, जिससे उनके समय की बचत हुई है, बचत समय का उपयोग अब असानी से अन्य कार्याे में दे पा रहे है। सचिव श्री रविन्द्र कुमार झाड़ी द्वारा चर्चा किये जाने पर बताया गया की समय-समय पर वॉल ऑपरेटर के माध्यम से वॉल ऑपरेटिंग कर पानी सप्लाय करने का कार्य किया जा रहा हैं। जिससे सभी घरों में पर्याप्त मात्रा में जल प्रदाय हो रहा है।
सरपंच, सचिव एवं ग्रामवासियों की उपस्थिति में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के जिला समन्वयक श्री टोपेश्वर साहू की उपस्थिति में हर घर जल प्रमाणीकरण कार्य किया गया था। ग्रामवासी श्री कुडियम राजेश बताते है कि, ग्राम धारावरम के सभी घरों में नल के माध्यम से शुद्ध पेयजल निरंतर प्राप्त हो रहा है, जिससे ग्रामवासी अत्यधिक प्रसन्न है। घरों में शुद्ध पेयजल प्रदाय होने पर ग्राम वासियों के जल की समस्या का निराकरण हुआ है। जिसके लिये सरपंच, सचिव एवं ग्रामवासियों ने छत्तीसगढ़ सरकार को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
बाल विवाह सामाजिक बुराई के साथ कानूनी अपराध
बीजापुर 20 अक्टूबर 2024- कलेक्टर श्री संबित मिश्रा के निर्देशानुसार महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जिले में बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। जिले में स्कूल कॉलेज एवं ग्राम पंचायत स्तर पर शिविरों के माध्यम से व्यापक जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन कर बाल विवाह रोकथाम हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार कर बाल विवाह कानूनी अपराध की जानकारी दिया जा रहा है 21 वर्ष से कम आयु के लड़के और 18 वर्ष से कम आयु की लड़की का विवाह कानूनी अपराध है बाल विवाह करना, करवाना, सहायता करना, बाल विवाह को बढ़ावा देना, इसकी अनुमति देना, बाल विवाह में सम्मिलित होना भी अपराध है इसके लिए दो वर्ष तक का कठोर कारावास तथा जुर्माना जो की 100000 तक हो सकता है अथवा दोनों दंड से दंडित किया जा सकता है। बाल विवाह होने से नुकसान की जानकारी दिया जा रहा है कि इससे शारीरिक दुर्बलता समय पूर्व गर्भावस्था, मानसिक विकास में रुकावट, मातृ मृत्यु दर, में वृद्धि शिशु मृत्यु दर में वृद्धि होता है। इसे रोकने के लिए अपील किया जा रहा है कि सभी गणमान्य नागरिकों समाज प्रमुख को धार्मिक व वैवाहिक अनुष्ठान को संपन्न करने वाले धार्मिक सेवा प्रदाता टेंट हाउस डीजे बैंड बाजा प्रिंटिंग प्रेस संचालकों तथा आम नागरिकों से जन जागरूकता के माध्यम से महिला में बाल विकास विभाग अपील करता है कि बिना आयु पूर्ण किए वैवाहिक कार्यक्रम में सेवाएं प्रदान न करें। आप सभी का सहयोग आवश्यक है जिससे जिले को बाल विवाह जैसी कुप्रथा से मुक्त किया जा सकता है।
मिशन वात्सल्य अंतर्गत प्रवर्तकता कार्यक्रम
बीजापुर 20 अक्टूबर 2024- कलेक्टर संबित मिश्रा के निर्देशन में महिला एवं बाल विकास विभाग अंतर्गत संचालित मिशन वात्सल्य कार्यक्रम के तहत 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों जो जरूरतमंद है उनका किया जाएगा चिन्हांकन। चिकित्सा, शिक्षा और पोषण के लिए प्रतिमाह 4 हजार रुपये की वित्तीय सहायता एकीकृत बाल संरक्षण योजना मिशन वात्सल्य महिला एवं बाल विकास विभाग अंतर्गत प्रवर्तकता कार्यक्रम के तहत 18 वर्ष से कम आयु के देख-रेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों को चिकित्सकीय, पोषण, व्यावसायिक प्रशिक्षण एवं शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु परिवारों को अनुपूरक सहायता के रूप में धन राशि प्रदान किया जाना है जिससे बच्चे के जीवन स्तर की गुणवत्ता में सुधार हो सके और बालक का सर्वाेत्तम हित सुनिश्चित किया जा सके।
महिला एवं बाल विकास विभाग से मिली हुई जानकारी के अनुसार किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 यथा संशोधित 2021 का एक प्रमुख मार्गदर्शी सिद्धांत यह है कि किसी बच्चे को अंतिम उपाय के रूप में संस्थागत देखरेख में रखा जावे। परिवार तथा पारिवारिक वातावरण बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सर्वाधिक अनुकूल होता है। अतः बच्चों के पुनर्वास और समाज में एकीकरण के लिए परिवार एवं समुदाय आधारित विकल्प में प्रवर्तकता (स्पॉन्सरशिप) का प्रावधान रखा गया है। जिसके तहत प्रवर्तकता हेतु पात्र बच्चों की शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 4 हजार रुपये प्रतिमाह की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
प्रवर्तकता की निवारक और पुनर्वास 02 श्रेणियां है। निवारक श्रेणी में जैविक परिवार में निवासरत बालकों को परिवार में बने रहने, शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए 4 हजार रुपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता दी जाती है ताकि वे बेघर, बालश्रम, बाल विवाह, पलायन इत्यादि के लिए मजबूर न हो। जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा ऐसे परिवारों या बच्चों का चिन्हांकन सामाजिक कार्यकर्ता, आऊटरीच वर्कर, स्वयं सेवकों, वार्ड समिति या ग्राम पंचायत की मदद से किया जाता है। पुनर्वास श्रेणी अंतर्गत ऐसे बच्चों को 4 हजार रुपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता दी जाती है जो परिवार के आर्थिक अभाव के कारण मिशन वात्सल्य के तहत संचालित बाल देख-रेख संस्थाओं में निवासरत है उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान कर परिवार में पुनर्वासित किया जाता है। निवारक प्रवर्तकता के तहत समुदाय में निवासरत ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है तथा विस्तारित परिवार की देखरेख में रहते है।
एकल माता-पिता के बच्चे विशेषकर विधवा या तलाकशुदा या परिवार द्वारा परित्यक्त माता के बच्चे। माता-पिता द्वारा परित्यक्त बच्चे जो विस्तारित परिवार की देखरेख में रहते है। ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता जेल मे हो। ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता अक्षम या बच्चों की देखभाल करने में आर्थिक और शारीरिक रूप से असमर्थ हो। ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता गंभीर बीमारी से पीड़ित है।
किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 यथा संशोधित 2021 के अनुसार देखरेख और संरक्षण के आवश्यकता वाले बच्चे जैसे बेघर, प्राकृतिक आपदा के शिकार, बालश्रम, बाल विवाह के शिकार, अवैध मानव परिवहन किये गये
बच्चे, एचआईवी, एड्स प्रभावित बच्चे, निःशक्त बच्चे, गुमशुदा या भागे हुए बच्चे, बाल भिक्षुक या सड़क पर रहने वाले बच्चे, प्रताड़ित या शोषण किये गये बच्चे। पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के हितग्राही बच्चे इन सभी श्रेणी के बच्चे 4 हजार रूपये प्रति माह आर्थिक सहायता प्राप्त करने के पात्र है। प्रवर्तकता के तहत आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए परिवार की वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 72 हजार रुपये प्रतिवर्ष और अन्य क्षेत्रों के लिए 96 हजार रुपये प्रतिवर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। प्रवर्तकता कार्यक्रम के तहत मिलने वाली आर्थिक सहायता 18 वर्ष तक की आयु पूर्ण होने तक मिल सकती है। प्रवर्तकता कार्यक्रम का क्रियान्वयन जिला बाल संरक्षण ईकाई द्वारा किया जाता है। प्रवर्तकता हेतु पात्र बच्चों का चिन्हांकन महिला एवं बाल विकास विभाग जिला बाल संरक्षण इकाई, आंगनबाड़ी, पंचायत द्वारा किया जाता है। साथ ही चाइल्ड हेल्पलाईन (1098), बाल संरक्षण समितियों अथवा किसी प्रबुद्ध नागरिक द्वारा भी बालकों का चिन्हांकन किया जा सकता है।
प्रत्येक जिले में बाल कल्याण समिति एवं प्रवर्तकत्ता एवं पालन पोषण देखरेख अनुमोदन समिति गठित है। प्रवर्तकता प्रकरण प्राप्त होने अथवा जरूरतमंद बालक या परिवार का आवेदन प्राप्त होने पर मिशन वात्सल्य योजना के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन कर जिला मजिस्ट्रेट द्वारा प्रवर्तकता की स्वीकृति दी जाती है एवं बाल कल्याण समिति द्वारा स्थापन आदेश जारी किया जाता है।
बाल कल्याण समिति के स्थापन आदेश उपरांत बालक के नाम पर बैंक खाता खोला जाता है। जिसका संचालन समिति के आदेश में नाम निर्दिष्ट व्यक्ति के द्वारा किया जाता है एवं बालक के बैंक खाते में प्रतिमाह जिला बाल संरक्षण समिति द्वारा राशि अंतरित की जाती है।
प्रवर्तकता के संबंध में अधिक जानकारी एवं आवेदन पत्र प्राप्त करने के लिए संबंधित जिले की जिला बाल संरक्षण इकाई महिला एवं बाल विकास विभाग से संपर्क किया जा सकता है।