हीमोग्लोबिन हमारे शरीर में सभी कोशिकाओं तक पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है, लेकिन सिकल सेल रोग में यह काम बाधित हो जाता है। पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाले इस रोग में गोलाकार लाल रक्त कण (हीमोग्लोबीन) हंसिये के रूप में परिवर्तित होकर नुकीले और कड़े हो जाते हैं। ये रक्त कण शरीर की छोटी रक्त वाहिनी (शिराओं) में फंसकर लिवर, तिल्ली, किडनी, मस्तिष्क आदि अंगों के रक्त प्रवाह को बाधित कर देते हैं। सिकलसेल रोग के मुख्य लक्षण भूख नहीं लगना, थकावट,तिल्ली में सूजन, हाथ-पैरों में सूजन,खून की कमी से उत्पन्न एनीमिया,त्वचा एवं आंखों में पीलापन (पीलिया), चिड़चिड़ापन और व्यवहार में बदलाव,सांस लेने में तकलीफ,हल्का एवं दीर्घकालीन बुखार रहना,बार-बार पेशाब आना व मूत्र में गाढ़ापन,वजन और ऊंचाई सामान्य से कम और हड्डियों एवं पसलियों में दर्द होना है। अगर उक्त लक्षण हैं और सिकलसेल की जांच नहीं करवाएं हैं तो अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर सिकल सेल की निःशुल्क जांच अवश्य कराएं और सिकलसेल गुणसूत्र है या नहीं इस बारे में पूरी जानकारी अवश्य लेवें।
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