छत्तीसगढ़

“मोर गांव मोर पानी“ महाअभियान के तहत सरगुजा में भू-जल संरक्षण की ऐतिहासिक पहल जिले के 439 ग्राम पंचायतों में जनसहभागिता से चला जल संरक्षण का वृहद अभियान

अम्बिकापुर 26 जून 2025/ sns/-  जिले में भू-जल स्तर को बढ़ाने और वर्षा जल का अधिकतम संग्रहण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से “मोर गांव मोर पानी महाअभियान“ के अंतर्गत वृहद जनअभियान सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। जिले की 439 ग्राम पंचायतों में जनसहभागिता से यह अभियान एक साथ संचालित किया गया, जिसमें व्यापक रूप से रेन वाटर हार्वेस्टिंग और सोकपिट निर्माण के माध्यम से जल संरक्षण को बढ़ावा दिया गया।

प्रधानमंत्री आवासों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग
इस महाअभियान के दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लाभान्वित 1085 हितग्राहियों के आवासों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का निर्माण किया गया। इससे न केवल जल संग्रहण होगा, बल्कि ग्रामीणों को स्वच्छ जल की उपलब्धता में भी वृद्धि होगी।

सोकपिट निर्माण से होगा जल का भूमि में संचयन
भू-जल रिचार्ज की दिशा में प्रभावी कदम उठाते हुए 355 सोकपिट का निर्माण किया गया। विशेष रूप से, 723 स्व-सहायता समूह की महिलाओं के घरों में सोकपिट का निर्माण किया गया।

शासकीय भवनों में जल संरक्षित करने की पहल
जिले भर के शासकीय भवनों में भी जल संरक्षण को प्राथमिकता दी गई। इस अभियान के तहत 216 ग्राम पंचायत भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए गए। 124 अन्य शासकीय भवनों (जैसे स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी केंद्र आदि) में भी यह प्रणाली स्थापित की गई। 12 ग्राम पंचायत भवनों एवं 55 अन्य शासकीय भवनों में पहले से मौजूद रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की मरम्मत कर उन्हें पुनः क्रियाशील बनाया गया।

“एक पेड़ मां के नाम 2.0” अभियान से हरियाली को मिलेगा बढ़ावा
“मोर गांव मोर पानी“ महाअभियान के साथ-साथ जिले में “एक पेड़ मां के नाम 2.0“ वृक्षारोपण कार्यक्रम भी जनसहभागिता से संचालित किया गया। इसके अंतर्गत प्रधानमंत्री आवासों, पंचायत भवनों एवं ग्रामीणजनों के घरों में 12475 पौधों का रोपण किया गया, जिससे पर्यावरणीय संतुलन और हरियाली को प्रोत्साहन मिला।

जनसहभागिता बनी प्रेरणा का स्रोत
इस अभियान की सफलता में जनसामान्य, पंचायती राज संस्थाओं, स्व-सहायता समूहों, ग्राम स्तरीय कर्मचारियों एवं ग्रामीणजनों की सक्रिय भागीदारी उल्लेखनीय रही। यह पहल न केवल जल संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि ग्रामीणों में जल के प्रति जागरूकता एवं जिम्मेदारी का भी प्रतीक बन गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *