छत्तीसगढ़

शासन द्वारा शालाओं एवं शिक्षकों के युक्ति युक्त करण किए जाने से शिक्षा की गुणवत्ता में होगी वृद्धि


राजनांदगांव, 04 जून 2025/sns/- शासन द्वारा शालाओं एवं शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण किए जाने से शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि होगी। इसके साथ ही विद्यार्थियों के परीक्षा परिणाम भी अच्छा होगा। प्रदेश के विभिन्न स्तर के शालाओं में अतिरिक्त अतिशेष शिक्षकों को अतिरिकत शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण किए जाने से विद्यार्थियों को अध्ययन में लाभ मिलेगा। इसी तरह स्कूलों के युक्तियुक्तकरण से फायदा मिलेगा। जिले में युक्तियुक्तकरण हेतु समिति का गठन किया गया है।
जिला शिक्षा अधिकारी श्री प्रवास सिंह बघेल ने बताया कि राजनांदगांव जिले में शालाओं के युक्तियुक्तकरण में 5 प्राथमिक शाला ऐसे थे। जिन्हें नजदीकी प्राथमिक शाला में समाहित किया गया है। इसके अलावा 645 हाई स्कूल, हायर सेकेण्डरी स्कूल को 349 स्कूलों में समायोजित किया जा रहा है। प्राथमिक शाला में 246 शिक्षक है। माध्यमिक शाला में 86 शिक्षक, हाईस्कूल में 61 व्याख्याता का युक्तियुक्तकरण किया गया है। युक्तियुक्तकरण स्कूल के साथ-साथ शिक्षकों के लिए इसलिए आवश्यक था, क्योंकि बहुत सारे स्कूल जो शहरी क्षेत्रों में है, वहां दर्ज संख्या के मान से ज्यादा शिक्षक कार्यरत हैं। दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी है। स्कूल युक्तियुक्तकरण एवं शिक्षक युक्तियुक्तकरण में जहां-जहां शिक्षकों की कमी होगी, वहां शिक्षकों की पूर्ति किया जाना संभव होगा। जैसे हाई स्कूल, हाई सेकेण्डरी स्कूल घोटिया में केवल 3 शिक्षक कार्यरत है। हाई स्कूल का परीक्षा परिणाम 27 प्रतिशत, हाईसेकेण्डरी स्कूल का परीक्षा परिणाम 31 प्रतिशत आया है। यदि हम शिक्षकों का समायोजन कर देंगे तो निश्चित रूप से परीक्षा परिणाम में सुधार होगा। शिक्षक युक्तियुक्तकरण से इस कमी की पूर्ति की जा सकेगी और जिले की शिक्षा व्यवस्था को और बेहतर किया जा सकेगा।
विकासखंड शिक्षा अधिकारी छुरिया श्री प्रशांत कुमार चितवरकर ने कहा कि शासन द्वारा युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है, यह छात्रों के हित में लिया गया निर्णय है। शालाओं के युक्तियुक्तकरण के तहत प्राथमिक शाला, पूर्व माध्यमिक शाला, उच्च माध्यमिक शाला, उच्चतर माध्यमिक शाला को मर्ज किया गया है या कहें कि प्रशासनिक एकीकरण हो रहा है। जिसके छात्रहित में लाभ प्राप्त होंंगे। प्रशासनिक सुविधा होगी, सभी दस्तावेज अलग-अलग शालाओं में संधारित होते थे, वे एक ही शाला में संधारित होंगे। भौतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग कर पायेंगे। शाला के खेल मैदान, खेल सामग्री, लैब, लाईब्रेरी का बच्चे बराबर उपयोग कर पायेंगे। शिक्षकों का भी बेहतर उपयोग हो सकेगा।

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