छत्तीसगढ़

कर अपवंचन में संलिप्त व्यवसायियों पर स्टेट जीएसटी विभाग की बड़ी कार्यवाही दो फर्मों से करोड़ों के घोटाले का हुआ खुलासा

अम्बिकापुर, 02 जून 2025/ sns/-  राज्य शासन के निर्देशानुसार कर अपवंचन करने वाले व्यवसायियों के विरुद्ध चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत स्टेट जीएसटी विभाग, अंबिकापुर द्वारा विगत दिनों दो प्रमुख व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर बड़ी कार्यवाही की गई है। इन जांचों में गंभीर वित्तीय अनियमितताओं और कर चोरी के प्रमाण सामने आए हैं।

बंसल ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन पर 158 करोड़ के टर्नओवर के बावजूद शून्य कर भुगतान
 29 मई 2025 को स्टेट जीएसटी विभाग द्वारा मेसर्स बंसल ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन, अंबिकापुर के व्यवसाय स्थल पर जांच की गई। भारत सरकार के जीएसटी पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस फर्म का रिस्क स्कोर 10 पाया गया, जो कर अपवंचन की उच्च संभावना को दर्शाता है।
 जांच के दौरान यह पाया गया कि व्यवसाय स्थल पर न तो कोई लेखा-पुस्तक संधारित की गई थी, न ही किसी सॉफ्टवेयर जैसे टैली का उपयोग हो रहा था। आगे की जांच में यह तथ्य सामने आया कि फर्म ने वर्ष 2017-18 से 2024-25 तक लगभग 158 करोड़ रूपए का कारोबार किया, किंतु इस पर नगद कर भुगतान शून्य किया गया।
 ई-वे बिल की जांच में भी गंभीर अनियमितता सामने आई। वर्ष 2023-24 में फर्म द्वारा 29.50 करोड़ रूपए का माल क्रय किया गया, जबकि मात्र 50 लाख रूपए की आपूर्ति दर्शाई गई। इससे यह संकेत मिला कि शेष माल का विक्रय आम उपभोक्ताओं को कर रहित तरीके से किया गया तथा बिल अन्य व्यवसायियों के नाम बनाकर बोगस इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ प्रदान किया गया। इससे केंद्र एवं राज्य सरकार को कर राजस्व की भारी क्षति हुई।

हालांकि व्यवसायी ने अपनी त्रुटि स्वीकार करते हुए 40 लाख रूपए कर राशि का स्वैच्छिक भुगतान करने की इच्छा जताई, परंतु विभाग द्वारा मांगे गए दस्तावेज अब तक प्रस्तुत नहीं किए गए हैं। जांच अभी भी जारी है।

लक्ष्मी ट्रेडर्स पर भी कर चोरी के प्रमाण, 17.55 लाख रूपए का स्वैच्छिक भुगतान
इसके अतिरिक्त, 30 एवं 31 मई 2025 को मेसर्स लक्ष्मी ट्रेडर्स, अंबिकापुर के व्यवसाय स्थल पर भी जांच की गई। इस फर्म द्वारा वर्ष 2017-18 से 2024-25 तक 96 करोड़ रूपए से अधिक का कारोबार किया गया, किंतु कर का नगद भुगतान नगण्य मात्रा में किया गया है। वर्ष 2023-24 में 11 करोड़ रूपए का माल क्रय दिखाया गया, जबकि आपूर्ति मात्र 7 करोड़ रूपए की ही दर्ज की गई। इससे कर चोरी की संभावनाएं उजागर हुईं। व्यवसायी द्वारा अपनी गलती स्वीकार करते हुए 17.55 लाख रूपए कर राशि का स्वैच्छिक भुगतान किया गया है। इस फर्म के विरुद्ध पूर्व में कोई कार्यवाही नहीं की गई है।

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