अम्बिकापुर, 04 मई 2025/ sns/- छत्तीसगढ़ शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग ने कार्यस्थलों पर कार्यरत महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु सभी शासकीय, अर्द्धशासकीय, सार्वजनिक एवं निजी उपक्रमों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। विभाग ने महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 की धारा 4(1) के तहत प्रत्येक संस्था में आंतरिक शिकायत समिति के गठन को अनिवार्य बताया है।
विभाग द्वारा 19 दिसम्बर 2013 एवं 17 सितम्बर 2014 को जारी निर्देशों के अनुसार, ऐसे सभी कार्यस्थल जहां 10 या अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, वहां इस समिति का गठन करना अनिवार्य है। समिति में एक पीठासीन अधिकारी (महिला अध्यक्ष), दो ऐसे सदस्य जिन्हें समाज सुधार या विधिक ज्ञान का अनुभव हो, तथा एक सदस्य गैर-सरकारी संगठन (NGO) से लिया जाना अनिवार्य है, जो महिलाओं के अधिकारों के प्रति प्रतिबद्ध हो। कुल सदस्यों में कम से कम आधी महिलाएं होना आवश्यक है।
समिति के सदस्यों का कार्यकाल नामांकन की तारीख से तीन वर्ष या नियोजक द्वारा निर्धारित किसी अल्प अवधि तक का होगा। समिति की सूचना को कार्यालय सूचना पटल, विभागीय वेबसाइट, तथा सभी महिला कर्मचारियों को अवगत कराना अनिवार्य किया गया है।
यदि किसी कार्यालय में इस समिति का गठन नहीं किया गया पाया गया, तो संबंधित संस्था पर 50,000 रुपए तक का अर्थदण्ड अधिनियम के तहत लगाया जा सकता है।
जिला कार्यालय महिला एवं बाल विकास विभाग, सरगुजा ने सभी कार्यालय प्रमुखों से आग्रह किया है कि वे अपने अधीनस्थ कार्यालयों में भी समिति का गठन शीघ्र करें तथा इसकी अद्यतन जानकारी जिला कार्यालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
शासन की यह पहल राज्य में कार्यरत महिलाओं को एक सुरक्षित, सम्मानजनक और भयमुक्त वातावरण प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।