बिलासपुर, 28 जून 2024/sns/-किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 यथा संशोधित 2021 की धारा 41 के अंतर्गत अपंजीकृत यतीमखानें जो कि बाल देखरेख संस्थाएं, छात्रावास, आश्रम, मदरसे हो सकते है तथा बच्चो की देखरेख एवं संरक्षण हेतु आवासीय प्रायोजन हेतु संचालित है। ऐसे संस्थानों के प्रमुखों को सूचना प्रकाशन के 5 दिवस के भीतर अपने यतीमखानों में आवासीय प्रायोजन हेतु निवासरत 18 वर्ष से कम उम्र के बालक-बालिकाओं को बालक कल्याण समिति, पंचायत एवं प्रशिक्षण केन्द्र परिसर, नूतन चौक सरकण्डा बिलासपुर में प्रस्तुत करना होगा। बाल कल्याण समिति द्वारा उपरोक्त बालक-बालिकाओं के संबंध में निर्णय लिया जायेगा कि वे बालक-बालिका देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों की श्रेणी में है अथवा नहीं। देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों की श्रेणी में ना होने की स्थिति में यतीमखानें आवासीय प्रायोजन हेतु संस्थान का संचालन कर सकते है।
बच्चो के देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों की श्रेणी में होने पर यतीमखानें संस्थान का संचालन नहीं कर सकते उक्त हेतु उन्हें यतीमखानों के संचालन हेतु किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 यथा संशोधित 2021 की धारा 41 के अंतर्गत संस्थान का पंजीयन कराया जाना अनिवार्य है तथा अधिनियम के प्रावधानों का पूर्णतः पालन करना अनिवार्य होगा। बच्चों का बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत नहीं करने अथवा यतीमखानों के अपंजीकृत होने एवं संचालन करने पर किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 यथा 2021 की धारा 42 के अनुसार कार्यवाही की जाएगी, जिसमें भारसाधक व्यक्ति को ऐसे कारावास से, जो कि एक वर्ष तक हो सकेगा या एक लाख रूपए के अन्यून के जुर्माने से या दोनो से दंडित किया जायेगा। अधिक जानकारी के लिए कार्यालय जिला बाल संरक्षण अधिकारी, जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग, पंचायत एवं प्रशिक्षण केन्द्र परिसर, नूतन चौक सरकण्डा में संपर्क किया जा सकता है।