छत्तीसगढ़

महात्मा गांधी नरेगा योजना एवं महिला बाल विकास विभाग के संयुक्त प्रयास का दिखने लगा असर

आंगनबाड़ी भवन से मिलने वाले गर्म भोजन, टीकाकरण एवं शिक्षा रख रहा स्वस्थ समाज की नींव

कवर्धा, फरवरी 2024। ग्रामीण भारत में आंगनबाड़ी गर्भवती एवं शिशुवती माता व बच्चों की देखभाल के लिए महत्वपूर्ण केंद्र है। बच्चों को भूख और कुपोषण से बचाने एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम के तहत सन् 1975 में भारत सरकार द्वारा योजना प्रारंभ किया गया। आंगनबाड़ी से ग्रामीण क्षेत्रों में न सिर्फ पोषण के विभिन्न विषयों को संबोधित किया जाता है वरन स्वास्थ्य एवं प्रारंभिक शिक्षा के लिए यह मील का पत्थर है। इस व्यवस्था के अंतर्गत पोषण के साथ विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रम जैसे 1 से 5 वर्ष के बच्चों का टिकाकारण, आवश्यकतानुसार चिकित्सीय सहायता एवं जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रारंभिक शिक्षा क,ख,ग हो या फिर 1,2,3 या फिर ए,बी,सी,डी से परिचय कराते हुए बच्चों को स्कूल जाने के लिए तैयार किया जाता है। सही मायने में यह बच्चों के लिए पहला स्कूल ही है। गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के लिए सभी जरूरी टीकाकरण, दवाईयों के साथ-साथ सम्पूर्ण संतुलित आहार के द्वारा बच्चों के लालन-पालन में अमूल्य सहयोग का केन्द्र आंगनबाड़ी बना हुआ है।
कलेक्टर श्री जनमेजय महोबे ने बताया कि छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का टीकाकरण, समस्त गर्भवती स्त्रियों के लिए प्रसव पूर्व देखभाल के साथ टीकाकरण, बच्चों का अनुपूरक पोषण, गर्भवती और शिशुओं की देखभाल अनूपूरक पोषण, महिलाओं के लिए पोषण एवं स्वास्थय जैसे महत्वपूर्ण कारक आंगनबाड़ी की सुविधा से जुड़े हुए हैं। ग्राम मोहतरा में पहले से आंगनबाड़ी भवन था, जर्जर होने के कारण उपयोगहीन था। आंगनबाड़ी भवन नहीं होने के कारण समय पर बच्चों को स्वास्थय से जुड़ी सभी सुविधाओं का लाभ दिया जाना चुनौती पूर्ण था। इसी तरह महिलाओं के लिए आवश्यक सुविधाएं भी पहुंचाना मुश्किल हुआ करता था। यही कारण है कि ग्रामीणों की मांग पर नया आंगनबाड़ी भवन स्वीकृति कर निर्माण गया है, जिसका लाभ ग्रामीणों को मिलने लगा है।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री संदीप कुमार अग्रवाल ने बताया कि जनपद पंचायत सहसपुर लोहारा के ग्राम पंचायत बगदई के आश्रित ग्राम मोहतरा में महात्मा गांधी नरेगा योजना से आंनगबाड़ी निर्माण कार्य 8 लाख रुपए की लागत से स्वीकृत किया गया। इस कार्य में 8 लाख रूपए व्यय हुआ। निर्माण कार्य में लगभग 595 मानव दिवस का रोजगार ग्रामीणों को मिला, जिसके एवज में 1 लाख 20 हजार रुपए का मजदूरी भुगतान ग्रामीणों के खाते में प्राप्त हुआ। कार्य में 6 लाख 80 हजार रुपए सामग्री पर खर्च किया गया। आंगनबाड़ी बन जाने से ग्रामीणों को बहुत सुविधाएं मिल रही है। छोटे बच्चों को पौष्टिक आहार के साथ प्रारंभिक शिक्षा दिया जा रहा है तथा खेल-कूद के लिए भी अच्छा स्थान प्राप्त हो गया है। महिलाओं के लिए शासन द्वारा निर्धारित सभी सुविधाओं की व्यवस्थाएं एक ही छत के नीचे हो रही है। आंनगबाड़ी भवन न केवल ईट एवं पत्थरों से निर्मित भवन है, बल्कि यह ग्रामीण परिवेश के लिए सुनहरे भविष्य की नींव है। जहां स्वस्थ्य एवं शिक्षित बच्चे भविष्य के लिए अपने पैरो पर खड़ा होना सिख रहें है।

कार्य का सुखद परिणाम (आंकड़ो के आधार पर)

 3-6 आयु सीमा के सामान्य एवं गंभीर कुपोषित बच्चे आंगनबाड़ी बनने से पहले जहां 1 बच्चे की संख्या दर्ज थी वो अब 0 शून्य हो गया है।
 किशोरी बालिकाओं के लिए पूरक पोषण आहार योजनान्तर्गत भवन निर्माण के पहले जहा 8 बालिका लाभान्वित हो रहे थे वह बढ़कर अब 12 हो गया है।
 महतारी जतन योजना अंतर्गत गर्भवती महिलाओं को आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से पहले 3 हितग्राहियों को गर्म भोजन वितरण हो रहा था वह बढ़कर अब 6 हो गया है।
 आंगनबाडी मे बच्चों की कुल दर्ज संख्या 18 से बढ़कर 24 हो गई है।

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