छत्तीसगढ़

श्री रामलाल प्राण प्रतिष्ठा पर भक्तिमय आयोजन से स्कूली,लोककला, भक्ति सागर समूह, भगवा भारत और अर्जुंदा के कलाकरों ने संमा बांधा

सरदार पटेल मैदान में दो दिवसीय भक्ति एवं संगीत मय सांस्कृतिक कार्यक्रम कासमापन

गांव-गांव हुए अखण्ड संगीतमय रामकथा का आयोजन

कवर्धा, जनवरी 2024। अयोध्या में प्रभु ‘श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा रामोत्सव‘ से समूचे देश, प्रदेश सहित कबीरधाम जिला भी भक्तिमय हो गया। जिले में कवर्धा से लेकर गांव-गांव में संगीतमय अखण्ड रामयाण मानस गान का आयोजन किया गया। वही जिले के प्रमुख मंदिर-गांवों के देवालय और धार्मिक, अध्यात्मिक ऐतिहसक महत्व के स्थल भोरमदेव मंदिर को भी विशेष रूप से सजाया गया था। कवर्धा के सरदार पटेल मैदान में 21 और 20 जनवरी को जिला स्तरीय संगीतमय भक्ति एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा आयोध्या में श्री रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के समय कबीरधाम जिले में अयोजित होने वाले संगीतमय अखण्ड रामायण मानस गायन में शामिल हुए। वही जिला स्तरीय संगीत मय रामोत्सव में सांसद श्री संतोष पाण्डेय, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सुशीला भटट्, जिला पंचायत सदस्य श्री रामकुमार भट्ट, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्री संतोष पटेल, कैलाश चन्द्रवंशी सहित जिला स्तरीय एवं जनपद स्तरीय जनप्रतिनधि शामिल हुए। कलेक्टर श्री जनमेजय महोबे, जिला पंचायत सीईओ श्री संदीप अग्रवाल ने सभी कलाकारों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने सोमवार को प्रभुराम लला के प्राण प्रतिष्ठा पर अपने कवर्धा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बारदी, गोरखपुर, आंछी, ग्राम सेमो सहित मुख्यमार्ग के सभी छोटे-बडे़ ग्रामों में पहुंचकर वहां आयोजित अखण्ड रामायणमानस गायन में शामिल हुए। उन्होंने गोस्वमी तुलसी दास जी की लिखित राम चरित मानस के दोहे और प्रमुख राम के वन गमन काल के समय को ग्रामीणों को बताया। उन्होंने कहा कि प्रभु श्री रामचन्द्र जी तो 14 बरस के बनवास पर थे, लेकिन इस कलियुग के पांच सौ साल पहले एक ऐसे मुगल शासक आए जिन्होंने हमारे प्रमु राम चन्द्र जी के मंदिर को विघ्वंस कर दिया और जिसकी वजह से हम सबके आराध्य देव प्रभू रामलला को पांच सौ साल तक एक टेंट में रहना पड़ा। इस पांच सौ साल बाद प्रभु रामलला आज अपने घर अर्थात मंदिर में विराजित हो रहे है। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा विधिवत पूजा-अर्चना और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा आज कराई जा रही है। उन्होने कहा कि हम सबके लिए गौरव का दिन है कि हम इस गौरवशाली दिवस के साक्षी बन रहे है और अपने जीवन काल में रामलला को उनके घर अर्थात मंदिर में विराजित देख रहे है। उन्होने कहा कि इस गौरवशाली दिवस को देश से लेकर प्रदेश और हमारे कबीरधाम जिले के गांव-गांव में उत्साह, उमंग देखा जा रहा है। घर-घर दीवाली मनाई जा रही है। दिए जलाए जा रहे और राम लला की आमगन पर फटाखे और आतिश बाजी की जा रही है। गांव-गांव में अखण्ड रामायण मानस गान का आयोजन हो रहा है। पूरा जिला राममोत्सव की भक्ति में रंग गया है।
इधर पटेल मैदान में आयोजित दो दिवसीय रामोत्सव आयोजन में 21 जनवरी को छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों अस्था कला मंच कबीरधाम द्वारा संगीत मय श्रीराम कथा की प्रस्तुति दी। इसके बाद कस्तुरबा आवासीय विद्यालय के स्कूली छात्रों शिव विवाह की आकर्षक झांकी की प्रस्तुति दी। भक्ति सागर समूह द्वारा भजन संध्या में एक से बड़कर एक भक्तिमय गीतों की प्रस्तुति दी। दूसरे दिन 22 जनवरी को महामाया मंदिर के प्रांगण में आयोध्या में आयोजित प्रभु ‘श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा रामोत्सव‘ का अयोध्या से श्री रामलला प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया। दीपोत्सव और आरती की गई,जिसमें उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा शामिल हुए। सुगम संगीत भगवा भारत का आयोजन ने रामोत्सव को आगे बढ़ाया और देर रात तक लोकरंग अर्जुंदा के कलाकारों ने राम भक्ति, देश भक्ति और छत्तीसगढ़ महतारी की वंदना कर कवर्धा वासियों के दिलों में रामोत्सव को आंनदित कर दिया।

अवधेश श्रीवास्तव ने मंच संचालन करते हुए रामोत्सव का संमा बांधा

सरदार पटेल मैदान में एक ओर रामोत्सव में राज्य के अलग-अलग जिलों से आए कलाकरों ने अपने संगीत और भक्तिमय आयोजन से जिले वासियों को आंनदित किया तो वहीं दूसरी ओर रामोत्सव को मंच संचालन करते हुए अवधेश नंदन श्रीवास्तव ने भी कार्यक्रम का समां बांधा। मंच संचालन करते हुए अवधेश नंदन श्रीवास्तव ने इस दो दिवसीय रामोत्सव में प्रमु राम चन्द्र जी के बाल्य काल से लेकर उनके वनगमन काल, माता सबरी से राम भेंट की सुदंर व्याख्या की। उन्होने गोस्वामी तुलसी दास द्वारा रचित राम रचित मानस से दोहे और चौपाई का पाठ कर दोहे और चौपाई में छुपे जीवन उपयोगी सभी रहस्यों को उद्घोषित किया। उन्होने कहा कि प्रभु श्री रामचन्द्र जी समग्र मानव जाति और भारतीय जनचेतना की प्रतिमूर्ति है।

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