15 साल के शासन काल में भाजपा ने न तो शिक्षाकर्मियों को नियमित शिक्षक बनाया, न ही अनुकम्पा नियुक्ति का प्रावधान रखा
भाजपा सरकार की गलत नीतियों का दंश झेल रहीं शिक्षाकर्मियों की विधवाएं
रायपुर, 4 मार्च 2023/ शिक्षाकर्मियों की विधवाएं छत्तीसगढ़ में 15 सालों तक सत्ता में काबिज रहीं भाजपा सरकार की गलत नीतियों का दंश झेल रहीं है। भाजपा सरकार ने शिक्षाकर्मियों को न तो शिक्षक बनाया, न ही उनकी मृत्यु पर अनुकम्पा नियुक्ति का प्रावधान किया, जिसके चलते वर्षों से शिक्षाकर्मियों की विधावाएं एवं परिजन अनुकम्पा नियुक्ति पाने से वंचित हैं।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की सरकार ने शिक्षाकर्मियों को विधिवत शिक्षा विभाग में संविलियन का नियम बनाया और उन्हें नियमित शिक्षक के पद पर पदस्थ करने के साथ ही अनुकम्पा नियुक्ति का प्रावधान भी किया, जिसके चलते शिक्षाकर्मी से नियमित शिक्षक बने और उन्हें अनुकम्पा नियुक्ति पाने की पात्रता भी मिली। यहां यह बताना लाजिमी है कि अनुकम्पा नियुक्ति के लिए धरना, आंदोलन कर रही शिक्षाकर्मियों की विधावाओं का मामला भाजपा सरकार के कार्यकाल का है। उस समय अनुकम्पा नियुक्ति का प्रावधान न होने के कारण इनको नियुक्ति की पात्रता नहीं मिल पा रही है।
गौरतलब है कि शिक्षाकर्मियों का स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षक के पद पर संविलियन होने के पूर्व, जिन शिक्षाकर्मियों की मृत्यु हो चुकी थी, उनकी विधवाओं द्वारा अनुकम्पा नियुक्ति हेतु आवेदन दिये गये है, परंतु उस समय उनके पति बतौर शिक्षाकर्मी पदस्थ थे। जिस समय शिक्षाकर्मियों की मृत्यु हुई उस समय वे शासकीय सेवा नहीं थे, बल्कि संबंधित जनपद पंचायत, जिला पंचायत, नगरीय निकाय के कर्मचारी थे। इसलिए उनकी विधवाओं को शासन के पदों पर अनुकम्पा नियुक्ति की पात्रता नहीं है। विगत अनेक माह से अनुकम्पा नियुक्ति के लिए धरने पर बैठी शिक्षाकर्मियों की विधवाएं अनुकम्पा नियुक्ति दिये जाने की मांग कर रहीं है। हाल ही में विपक्षी दल के कुछ वरिष्ठ नेताओं में इन आवेदिकाओं के प्रति सरकार के असंवेदनशील होने का आरोप लगाया है, जो असत्य एवं भ्रामक है।
गौरतलब है कि अनुकम्पा नियुक्ति के संबंध में शासन को प्राप्त कुल 1634 आवेदनों में से केवल 201 आवेदन ही वर्ष 2019 एवं उसके बाद के है, जबकि 1433 आवेदन वर्ष 2018 एवं उसके पूर्व के होने के कारण पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय के हैं।