राज्यपाल ने खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय में ग्रीष्मकालीन कलात्मक शिविर का किया शुभारंभ
संगीत, कला व संस्कृति समाज तथा प्रदेश की जीवन रेखा होती है – श्री डेका
रायपुर, 08 मई 2025/ राज्यपाल श्री रमेन डेका ने इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में आयोजित 10 दिवसीय ग्रीष्मकालीन कलात्मक शिविर (निःशुल्क समर कैम्प) का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुये राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री डेका ने कहा कि संगीत, कला व संस्कृति किसी भी समाज व प्रदेश की जीवन रेखा की तरह होती है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ इतना समृद्ध है कि यहां रामायण काल के पहले की संस्कृति मौजूद है। संगीत एक ऐसा माध्यम है जो सुख में तथा दुख में सही रास्ता दिखाता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का जिक्र करते हुये राज्यपाल ने कहा कि इसमें बहुत संभावनाएं हैं। फाइन आर्टस के क्षेत्र में भी विद्यार्थी बेहतर कर सकते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अलग-अलग विषयों पर अध्ययन-अध्यापन की सुविधा दी गई है जिसका फायदा निश्चित रूप से विद्यार्थियों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि संगीत व कला से समृद्ध इस तरह का विश्वविद्यालय कहीं नहीं है। उन्होंने विश्वविद्यालय को हर संभव सहयोग करने की बात कही। राज्यपाल ने फाइन आर्ट की कलाओं की प्रशंसा की। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्र में यहां की संस्कृति बसी हुई है। उन्होंने विद्यार्थियों को संगीत व कला की बेहतर शिक्षा अर्जित करने कहा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. (डॉ.) लवली शर्मा ने की। उन्होंने बताया कि सन् 1956 में स्थापित, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय एशिया का ऐसा पहला विश्वविद्यालय है जो पूर्णतः संगीत, नृत्य, ललित कला एवं रंगमंच को समर्पित है। आज यह विश्वविद्यालय, केवल उस विरासत को सहेज नहीं रहा है, बल्कि वैश्विक कला और संस्कृति के बदलते स्वरूप के अनुसार स्वयं को निरंतर विकसित भी कर रहा है। हम ऐसे कलाकारों को गढ़ने का निरंतर प्रयास कर रहे हैं, जो न केवल अपनी कला में निपुण हों, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत के जागरूक संवाहक भी बनें।
अतिथियों के उद्बोधन पश्चात छात्रों के द्वारा गायन-वादन व नृत्य की प्रस्तुति दी गई। कथक विभाग के विद्यार्थियों ने कथक शास्त्रीय नृत्य की अत्यंत आकर्षक प्रस्तुति दी तथा लोक संगीत के विद्यार्थियों ने सरहुल, गेड़ी व पंथी नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। इस अवसर पर डॉ उज्ज्वला सिंह, सुश्री शताक्षी सिंह सहित जिला प्रशासन के अधिकारी, विश्वविद्यालय के अधिकारी-कर्मचारी, विद्यार्थी-शोधार्थी सहित शिविर में बच्चों के साथ उनके पालकगण उपस्थित रहे।


