गौरेला पेंड्रा मरवाही, 9 अक्टूबर 2023/विधायक डॉ के के ध्रुव एवं कलेक्टर श्रीमती प्रियंका ऋषि महोबिया ने आज गौरेला विकासखंड के ग्राम बाजारडांड-चुक्तिपानी में बैगा पर्यावास अधिकार मान्यता पत्र प्रदान किए। इस अवसर पर जनपद अध्यक्ष सुश्री ममता पैकरा, वनमण्डलाधिकारी श्री शशि कुमार, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास डॉ ललित शुक्ला सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं हितग्राही उपस्थित थे। छत्तीसगढ़ राज्य के दूसरे पर्यावास अधिकार बैगा जनजाति को जिला स्तरीय समिति के द्वारा ग्राम सभा-बाजारडांड में 19 बैगा ग्राम सभा के वन अधिकार समिति अध्यक्ष सचिव और पारंपरिक मुखिया को प्रदाय किया गया। बैगाओं के पर्यावास अधिकार के प्रावधान प्रक्रिया और क्रियान्वयन के योजना के संबंध में पर्यावास अधिकार की प्रक्रिया को विस्तार रूप से जानकारी प्रदान किया गया और उनके रीति रिवाज
परंपरागत अधिकार के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दिया गया।
अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 नियम 2007 यथा संशोधित अधिनियम 2012 के धारा 3(1) (ड.) के अंतर्गत विशेष रूप से संरक्षित जनजाति के लिए कानून में प्रावधान है कि उनके बसाहट के अनुरूप जहां पर संरक्षित जनजाति अपने सामाजिक, आर्थिक, पारंपरिक ज्ञान, पारिस्थितिकी, जैव विविधता और बौद्धिक संपदा को परंपरागत रूप से उपयोग एवं निस्तार करते हुए आ रहे है। उनके परंपरा, रीति रिवाज को कानूनी रूप से लिखित में मान्यता नहीं दी गई है। संरक्षित जनजाति के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए वन अधिकार कानून 2006 में विशेष रूप से संरक्षित जनजाति को पर्यावास अधिकार का प्रावधान दिया गया है।
नव निर्माण चेतना मंच संस्था के कार्यकर्ताओं के द्वारा पर्यावास अधिकार के प्रक्रिया का प्रारम्भ किया गया। सर्वप्रथम बैगा जनजाति के पारंपरिक मुखिया का चयन करते हुए उनके पारा टोला स्तर पर ग्राम सभा का गठन किया गया। इसके साथ ही बैगा के पारंपरिक मुखिया के साथ बैठ कर उनके रीति रिवाज, पारंपरिक स्थल और लघु वनोपज, पारंपरिक ज्ञान जैव विविधता, बौद्धिक संपदा को लेकर चर्चा कर दस्तावेजीकरण प्रक्रिया किया गया। बैगा पर्यावास अधिकार के दावा और क्रियान्वयन प्रक्रिया में अनुविभागीय दंडाधिकारी पेंड्रारोड श्री अमित बेक, तहसीलदार सोनू अग्रवाल, वन अधिकार शाखा प्रभारी श्री सौरभ दूबे, वन अधिकार समन्वयक सृजन साहू जिला, केदार श्यामले, नव निर्माण चेतना मंच संस्था से रीना रामटेके, चन्द्र प्रताप सिंह, संबन्धित ग्राम के बीट गार्ड एवं पटवारी आदि का विशेष सहयोग रहा।

