छत्तीसगढ़

राज्योत्सव में बस्तरिया टैटू ने खींचा सबका ध्यान, बस्तरिया टैटू के माध्यम से नई जनरेशन तक पहुंच रही है ट्राइबल संस्कृति

राज्योत्सव में बस्तर के युवा गोदना को दे रहे हैं नया स्वरूप, ट्राइबल टैटू के रूप में सहेजी जा रही है बस्तर की गोदना संस्कृति
गोदना कला से युवाओं को मिल रहा आय का जरिया, राज्योत्सव में युवाओं को  मिला मंच
जगदलपुर, नवम्बर 2022/
राजधानी रायपुर में आयोजित राज्योत्सव में बस्तर के गोदना कलाकार अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित राज्योत्सव में बस्तर के युवाओं ने ट्राइबल टैटू का स्टॉल लगाया है। जो लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। बस्तर आर्ट गैलरी में लगे ट्राईबल टैटू को लोग काफी पसंद कर रहे हैं और बस्तर के प्रसिद्ध प्राचीन गोदना कलाकृतियों को टैटू के रूप में गुदवा रहे हैं।
बस्तर के रहने वाले धनुर्जय बघेल का कहना है कि 12वीं तक पढ़ाई के बाद वे रोजगार की तलाश कर रहे थे। गोदना में उन्हें पहले से ही रूचि थी। जिसकी वजह से उन्होंने जिला प्रशासन की मदद से बादल एकेडमी में 20 दिनों तक गोदना आर्ट की ट्रेनिंग ली। उनके साथ 20 और युवाओं ने ट्राईबल टैटू का प्रशिक्षण लिया है। धनुर्जय के साथ चार  युवाओं ने राज्योत्सव में स्टॉल लगाकर लोगों तक बस्तर की गोदना संस्कृति को पहुंचाने का काम तो कर ही रहे हैं। वहीं टैटू आर्टिस्ट के रूप में उनकी पहचान भी बना रहे है। जिससे वे आर्थिक सश्क्तिकरण की तरफ बढ़ रहे हैं।
राज्य सरकार का धन्यवाद देते हुए धनुर्जय कहते हैं कि अपनी पढ़ाई के बाद उन्हें रोजगार की चिंता थी। लेकिन राज्य सरकार के प्रयासों से उन्हें और उनके जैसे अन्य युवाओं को अपने पसंद के काम की ट्रेनिंग मिली और अब उनके पास रोजगार है। धनुर्जय के साथ उनके तीन युवा साथी  जोगी राम बघेल, सुखमन नाग और संदीप बघेल आए हैं। बता दें धनुर्जय और उनकी टीम से अब तक लगभग 400 लोगों ने टैटू बनवाया है।
ट्राइबल टैटू बनाने वाले युवा गोदना संस्कृति को युवाओं में प्रचलित तो कर ही रहे हैं साथ ही टैटू बनाने के बाद टैटू की देखभाल के तरीके भी बता रहे हैं, जिससे उन्हें किसी भी तरह के संक्रमण की परेशानी न हो।
बस्तर की गोदना कला और मान्यताएं
पुराने लोगों में गोदना काफी प्रचलित है। उनका मानना है कि गोदना ही एक ऐसी चीज है जो मरने के बाद इंसान के साथ जाती है। यानी कि गोदना पृथ्वी लोक से स्वर्ग तक साथ जाने वाला एक अमूल्य आभूषण है। बस्तर में गोदना को आभूषण की तरह माना जाता है, यहां गोदना का काम ओझा जाति के लोग करते हैं,इन्हें नाग भी कहते हैं। बस्तर में महिलाओं को गोदना अति प्रिय है, पुरुष भी थोड़ी मात्रा में गोदना करवाते हैं। बस्तर के मैदानी इलाके में बुंदकिया गोदना अधिक लोकप्रिय है।

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