चंद्रयान 3 इसरो की मेहनत है।
इसकी सफलता इसरो और इस पूरे प्रोजेक्ट से जुड़े विभिन्न संगठनों उनके वैज्ञानिकों, अधिकारियों,कर्मचारियों और मजदूरों की मेहनत का परिणाम है।
इस बात को दोहराने की जरूरत नहीं कि इस देश में अंतरिक्ष अनुसंधान की शुरुआत किसने की और किसने इसे आगे बढ़ाया।
आज चंद्रयान को लेकर एक तबका देशभक्ति के सर्टिफिकेट बांट रहा है।इस तबके को मलयाली हास्यबोध की समझ नहीं है।इसकी समझ को नफरत का ग्रहण लगा हुआ है।
एक तबका ऐसा भी है जो सड़कों पर हवन–पूजन कर रहा है।
वैज्ञानिकों का काम सफल हो इसके लिए कोई पूजा अर्चना करे यह उसकी आस्था है और इस पर कोई आपत्ती हो नहीं सकती।चाहे सड़क पर आस्था का प्रदर्शन करने वाले लोग कोई भी हों।
लेकिन असली देशभक्त कौन हैं ?
Ravish Kumar वाले वो भरपेट अंकिल–आंटी, जो ड्राइंग रूम में बैठकर सर्टिफिकेट बांट रहे हैं या सड़कों पर अपनी आस्था का प्रदर्शन कर रहे लोग देशभक्ति के ठेकेदार नहीं हैं!
इनसे तो चंद्रयान 3 की सफलता पर उत्साहित दो सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के लोग कहीं ज्यादा बड़े और सच्चे देशभक्त हैं।
इनमें से एक रांची स्थित मेकॉन है जिसने चंद्रयान 3 के लॉन्च पैड का डिजाइन किया और दूसरी है झारखंड में ही स्थित देश की बड़ी पुरानी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हैवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (एच ई सी ) जिसने मैकॉन द्वारा तैयार डिजाइन के आधार पर समय से पहले मोबाइल लॉन्चिंग पैड तैयार किया।
इन्हें और इनकी देशभक्ति को सलाम इसलिए क्योंकि इन्होंने भूखे पेट रह कर इस मिशन को समय से पहले पूरा किया,क्योंकि यह देश के गौरव की बात थी!
आप यह तो जानते हैं कि अभिनेता प्रकाश राज ने कोई ट्वीट किया है लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि इस एच ई सी के मजदूरों , कर्मचारियों और अधिकारियों को सत्रह महीने से वेतन नहीं मिला है?
क्या आपको पता है कि सार्वजनिक क्षेत्र की इस महत्वपूर्ण कंपनी को किस तरह तबाह किया जा रहा है?
दैनिक भास्कर की एक कुछ पुरानी रिपोर्ट बताती है –”एच ई सी मजदूर यूनियन के महासचिव रमाशंकर प्रसाद ने कहा कि एचईसी अभी गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है।यहां के कर्मचारियों को 14 महीने से और अधिकारियों को 18 महीने से वेतन नहीं मिला है।कंपनी का 80 फीसदी काम बंद है।हालांकि एचईसी के पास करीब 1000 करोड़ का वर्क ऑर्डर है।लेकिन कार्यशील पूंजी न होने के कारण नए काम के लिए कच्चा माल तक उपलब्ध नहीं है।वेतन नहीं मिलने के कारण पिछले तीन साल में 100 से ज्यादा इंजीनियरों और करीब 500 कामगारों ने काम छोड़ दिया है।उन्हें बार–बार आश्वासन तो मिलता है ,लेकिन वेतन नहीं।”
ऐसे तबाह किया जा रहा है देश की रीढ़ माने जाने वाले सार्वजनिक क्षेत्रों को।
इसका जिक्र आपको अविश्वास प्रस्ताव के जवाब में आए दो घंटे के भाषण में नहीं मिलेगा।
इसे जानने के लिए आपको एच ई सी के कर्मचारियों की बस्तियों में जाना पड़ेगा,उनके परिजनों से बात करनी पड़ेगी और आज उनके उत्साह को देख कर यह समझना होगा कि खाली पेट मजदूर भी इन भरपेट लोगों से कितना बड़ा देशभक्त होता है!
यह समझना होगा कि सार्वजनिक क्षेत्र इस देश की कितनी बड़ी ताकत है।
यह भी समझना होगा कि यह सार्वजनिक क्षेत्र की ही प्रतिबद्धता है कि एच ई सी जैसी कंपनी के अधिकारियों,कर्मचारियों और मजदूरों ने समय से पहले चंद्रयान 3 के लॉन्च पैड को तैयार किया ताकि आज देश चांद को देख सके –गर्व के साथ।
चंद्रयान 3 की सफलता की कामना पूरा देश कर रहा है।पूरा देश इसरो को सलाम कर रहा है।
लेकिन कैसे भूल जाएं कि यह सफलता विज्ञान की है और विज्ञान के क्षेत्र में हिंदुस्तान की ऊंची छलांग की है।इसरो यही तो है।
वोट के लिए उन्माद और नफरत फ़ैलाने वाले भटका रहे हैं।
समाज को कूपमण्डूक बना रहे हैं।
उनको भेजिए लानत,रवीश कुमार के अंकिल–आंटियों की सद्बुद्धि के लिए कीजिए कुछ जतन और इसरो,चंद्रयान 3 की टीम,अंतरिक्ष अनुसंधान इन सबको कीजिए फिर से सलाम!
खासतौर पर मेकॉन और साथ में एच ई वी के भूखे पेट मेहनती देशभक्तों को सलाम,सलाम !